संवादाता: हसीन अंसारी
गाज़ीपुर। आपने सुना तो होगा “उदारता वो भी दानवीर कर्ण जैसी”, कुछ ऐसा ही हुआ है मानवीय सेवा को समर्पित श्री राधा रानी की रसोई में।
इस रसोई के माध्यम से लगातार 2 माह से अधिक समय तक चले महायज्ञ से लॉक डाउन में सभी ज़रूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराने का पुण्य कार्य किया, इस महायज्ञ में जनपद के दानवीरों ने सहृदयता और उदारता की जो मिसाल कायम की है। उसके फलस्वरूप यह महाअभियान सफलतापूर्वक संपन्न होने के साथ ही देश-विदेश मे लोकप्रियता के प्रथम पायदान पर पहुंचते हुए, इतिहास के सुनहरे पन्नो पर अपना हस्ताक्षर मजबूत तरीके से दर्ज कराया।
जरूरतमंदो के सेवार्थ लाकडाउन के दौरान स्थापित रसोई को अपनी संवेदना एवं उदारता का परिचय देकर इतिहास के पन्नो में इस रसोई का नाम दर्ज कराने वाले दानवीरों के प्रति धन्यवाद प्रकट करते हुए पूर्व अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत/धर्मार्थ कार्य मंत्री विजय कुमार मिश्र ने अपने उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि “अपने जान की-चिंता किये बिना अपना कवच और कुंडल तक का दान करने वाले “महादानी दानवीर कर्ण” की याद दिलाते हुए जनपद में ई-रिक्शा चालक, दैनिक मजदूरी, ठेला, खोमचा जैसे छोटे से छोटे कारोबार से जुड़े दानदाताओं ने अपने शक्ति व सामर्थ्य की सारी सीमाओं को तोड़ते हुए इस रसोई मे अपना आर्थिक व शारीरिक योगदान किया, जैसा कि आप सभी समझते हैं जिस ई-रिक्शा चालक कि आय का स्रोत लगभग दो माह के ऊपर से बंद है, लाकडाउन के कारण वह कितना आर्थिक रूप से सम्पन्न होगा और कितना उसको स्वयं मदद की जरूरत होगी. जिसके खुद की रसोई में अन्न का संकट हो, वह इस रसोई में आकर दान दे रहा है. उसका यह भाव कितना पवित्र होगा,मेरी दृष्टि से इनका दान और भाव दोनो ही दानवीर कर्ण के कवच व कुण्डल के दान और दान करते समय उनका जो भाव था,उसी के समतुल्य है।”
उन्होंने आगे कहा कि “वहीं दूसरी तरफ अन्य जनपदों/राज्यों एवं विदेशों में सरकारी/गैर-सरकारी एवं फौज में अपनी सेवा दे रहे जनपदवासी अधिकारी/कर्मचारी भी इस रसोई से आर्थिक एवं आत्मिक भाव से जुड़े। इनके साथ ही न्यायमूर्ति, अधिवक्ता, उद्योगपति, प्रतिष्ठित व्यापारी, किसान बंधुओं के साथ ही घरेलू महिलाएं भी अपनी उदारता दिखाते हुए दोनो हाथ से इस रसोई में अन्न और धन की वर्षा की। नि:संदेह आप सबके इसी उदारता की पराकाष्ठा का परिणाम रहा की यह महायज्ञ ऐतिहासिक रूप से सफल होते हुए, आने वाले समय मे एक प्रकाश स्तम्भ का कार्य करेगा। जोकि ग़ाज़ीपुरवासियों की सहिष्णुता की एक जीवन्त मिसाल होगी और हर सामाजिक कार्यकर्ता और संगठन के साथ-साथ प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा।”
“परहित सरिस धर्म नही भाई।” इसी भावना के साथ विजय मिश्र ने इस महाअभियान से जुड़े सभी दानदाताओं के प्रति हृदय से कृतज्ञता ज्ञापित की।