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Manipur: तो इसलिए हुई नग्न करके महिलाओं संग बर्बरता !

अभिनेन्द्र की कलम से …

लड़कियां हारती नहीं, उन्हें हर बार हराया जाता है. जमाना क्या कहेगा उन्हें ये कहकर चुप कराया जाता है. संस्कार का बलात्कार कर कुछ पुरुषों द्वारा महिलओं को शिकार बनाया जाता है और खुद के माँ बहन की बात आ जाये तो वहां संस्कार सिखाया जाता है. जब सवाल होते हैं तो वो सच का सबक सिखाता है, लेकिन खुद सच सुन नहीं पता. और यदि कोई सच बोले तो उसे नियम कानून समझाता है. जब इस देश में ज्योति मौर्या जैसी अधिकारी अपने पति को छोड़ना चाहती है तो उसे बेवफा कहा जाता है और कोई सीमा दुसरे देश से पति को छोड़ कर आती है तो उसे भाभी कहा जाता है. औरत को खिलौना समझने वाले समाज के कुछ ठेकेदारों ने बालात्कारियों को भी अपना अराध्य बना रखा है. देश के कानून को न मानने वाले इन ठेकेदारों ने हत्यारों और बलात्कारियों का झंडा उठाने का ठेका ले रखा है. तथाकथित बाबा गुरमीत राम रहीम को दो साध्वियों से यौन शोषण मामले में 10-10 साल और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति और पूर्व प्रबंधक रणजीत सिंह हत्याकांड में उम्रकैद की सजा हुई है। राम रहीम को 25 अगस्त 2017 को रोहतक की सुनारिया जेल में लाया गया था। पंचकूला की सीबीआई कोर्ट में पेशी के दौरान व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी। इसके बाद हेलीकॉप्टर के जरिए उसे सुनारिया जेल लाया गया।  सिरसा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को 30 दिन की पैरोल मिल गई है। गुरुवार शाम पांच बजे राम रहीम सुनारिया जेल से निकलकर यूपी के बागपत के बरनावा आश्रम के लिए रवाना हो गया। उसे सिरसा डेरे में जाने की इजाजत नहीं है। इससे पहले उसके लिए सिरसा से घोड़े और गाय पहुंचाए गए हैं और वहां पर सुरक्षा बढ़ाई गई। राम रहीम का 15 अगस्त को जन्म दिन है, इसलिए सजा मिलने के बाद वह पहली बार जेल से बाहर अपना जन्मदिन मनाएगा। राम रहीम को इसी साल जनवरी में 40 दिन की परोल मिली थी। कैद के 30 महीने में राम रहीम की यह सातवीं परोल है। राम रहीम के बाहर आने से किसको क्या फायदा है ? ये राजनीति के जानकार बखूबी समझते हैं.   बाइट : दुष्यंत चौटाला, उप मुख्यमंत्री (हरियाणा)   लेकिन क्या ऐसे लोगों के अन्दर से मानवता मर जाती है? जब तक ऐसे बाबाओं के लाखों अनुयायी रहेंगें तब तक इस देश की बहन बेटिया सुरक्षित नहीं हैं. सुरक्षित तो सच बोलने वाला भी नहीं है. अब जरा मणिपुर के इन औरतों की कहानी को समझिये, ये तस्वीरें चिल्ला चिल्ला कर कह रही हैं कि तुम लोगों की इस दुनियां में हर कदम पर इंसान गलत है. उसका तुमसे अलग जाति में जन्म लेना गलत है, उसका ज्यादा शिक्षित होना गलत है, उसका काबिल होना गलत है, उसका पहनावा गलत है, उसका आवाज उठाना गलत है, उसका महिला होना ही गलत है.     

मई की शुरुआत में जातीय हिंसा भड़कने के बाद मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाया गया था. इन महिलाओं को भीड़ पुलिस सुरक्षा से खींचकर ले गई थी. वायरल हुए इस घटना के वीडियो को लेकर आक्रोश और दहशत का माहौल है. सूत्रों ने आज यह जानकारी दी. पीड़ित महिलाओं में से एक के किशोर भाई की उसी दिन कथित तौर पर उसी भीड़ ने हत्या कर दी थी. इस जघन्य कृत्य का कारण कथित तौर पर एक फर्जी वीडियो था.  वाकई फर्जी विडियो यानि फेक न्यूज़. जो आजकल राजनीति का हथियार बन गया है. वही फेक न्यूज़ सोशल मीडिया और whatsapp के जरिये लोगों के घर तक पहुँचता है और लोग उस पर विश्वास कर अपने नफरत को सीचना शुरू कर देते हैं और ये नफरत एक दिन ऐसा तांडव करती है की राजनीति भी शर्मसार हो जाती है की क्या बोया था? अब जो बोया है तो उसका फल भी वैसा ही होगा. खैर बड़े बड़े नेताओं का कहना कि इस घटना से पूरा देश शर्मसार है. वैसे इस घटना को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक्शन में हैं और कड़ी सजा देने की बात कह रहे हैं.  

ये बात अच्छी है कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर के साथ साथ कांग्रेस शासित प्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान का भी जिक्र किया. वही मणिपुर के मुख्यमंत्री बिरेन सिंह ने दोषियों को फंसी दिलाने की बात कही है. लेकिन कुछ नेता ऐसे हैं जिनके बयान से पूरा देश शर्मसार है. अब एक नेता का बयान आ रहा कि संसद सत्र के पहले क्यों विडियो वायरल हुआ, ये संदेहास्पद है. अब इन नेता जी को बताओ कि वहां हिंसा की वजह से इन्टरनेट बंद था, जब खुला तो विडियो वायरल हो गया.  

दरअसल , मणिपुर में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग को लेकर 3 मई को मैतेई समुदाय और कुकी जनजाति के बीच हिंसा भड़क उठी. पहाड़ी क्षेत्रों में आदिवासी एकजुटता रैली के तुरंत बाद झड़पें शुरू हो गईं. पुलिस सूत्रों के अनुसार दोनों महिलाएं एक छोटे समूह का हिस्सा थीं, जो 4 मई को पहाड़ियों और घाटी के इन दोनों जातीय समुदायों के बीच हमलों और जवाबी हमलों का सिलसिला शुरू होने पर बचने के लिए एक जंगली इलाके में भाग गई थीं. एक भीड़ इन अफवाहों पर (जो झूठी मानी जाती हैं ) आक्रोशित हो गई कि उनके समुदाय की महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया. इस भीड़ ने कथित तौर पर एक गांव पर छापा मारा और उस ग्रुप का पीछा किया जिसमें दो पुरुष और तीन महिलाएं शामिल थीं. इनमें से तीन लोग एक 56 वर्षीय व्यक्ति, उसका 19 वर्षीय बेटा और 21 वर्षीय बेटी एक ही परिवार से थे. उनके साथ दो महिलाएं और थीं जिसमें एक 42 साल की और दूसरी 52 साल की थी. एफआईआर के मुताबिक, जंगल की ओर जा रहे इन लोगों को नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन की एक पुलिस टीम मिली. पुलिस स्टेशन से लगभग दो किलोमीटर दूर पुलिसकर्मियों के साथ-साथ इस ग्रुप पर कथित तौर पर लगभग 800 से 1,000 लोगों की भीड़ ने हमला किया. भीड़ ने कथित तौर पर इस ग्रुप को पुलिस से छीन लिया.  भीड़ के हमले में कथित तौर पर 19 वर्षीय व्यक्ति की घटनास्थल पर ही मौत हो गई. वह अपनी 21 वर्षीय बहन को भीड़ से बचाने की कोशिश कर रहा था.

महिलाओं के रिश्तेदारों की ओर से पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत से पता चलता है कि उनमें से एक महिला के साथ गैंग रेप किया गया था. पुलिस ने कहा कि शिकायत के आधार पर 18 मई को जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी. मामला 21 मई को नोगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया गया. इसी पुलिस स्टेशन के क्षेत्र में यह घटना हुई थी. मणिपुर में 3 मई से इंटरनेट बंद कर दिया गया था. यह वीडियो गुरुवार को सामने आया और तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. इसको लेकर सामने आई पोस्टों में आक्रोश व्यक्त किया गया है. सरकारें और कानून अपना काम कर रही हैं लेकिन गंभीर सवाल तो यही है क्या ऐसे लोग सरकार और कानून को मानते भी हैं या नहीं ? या फिर परदे के पीछे कहानी कुछ और है ? महिलाओं के साथ यदि ऐसे ही घटनाएं होती रहीं तो वो दिन दूर नहीं जब दुनिया में आने के डर से पेट में पल रही बच्चियां अपना गला खुद घोट लेंगी.

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