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किस्सा नेता से करौली बाबा बनने का…

*”किस्सा” अभिनेंद्र के साथ*

ये किस्सा एक बाबा का है, जो किसान नेता से बाबा बन जाता है, जिसके ऊपर गुंडा एक्ट लगता है और बाबा बन जाता है। ये किस्सा करौली बाबा का है।

ब्राम्हण, संत, महंत सनातन में इन सब का महत्व है और लोग मानते भी हैं। लेकिन एक बार फिर बाबा का दौर शुरू हो चुका है। एक बार फिर कहने का अर्थ यही है इसके पहले भी हमने कुछ बाबा के नाम सुने हैं जैसे आसाराम बापू, निर्मल बाबा, बाबा राम रहीम इत्यादि। इनके हजारों की संख्या में समर्थक हैं तो इनका इतिहास भी काले पन्नों से घिरा हुआ है। यदि हम आज की बात करें तो हमारे देश में सोशल मीडिया पर इस समय दो बाबा ट्रेंड पर है पहले हैं बागेश्वर धाम वाले बाबा और दूसरे हैं कानपुर के करौली बाबा।
किसी महान शख्सियत ने कहा था कि जब आपकी आलोचना होनी शुरू हो जाए तो यूं समझ लेना कि आप तरक्की कर रहे हैं। अब यह वाक्य कब कहां किस तरीके से सटीक बैठता है यह कह पाना तो थोड़ा मुश्किल होगा लेकिन चलिए इस किस्से की शुरुआत यहीं से करते हैं। अब आपका नाम बढ़ेगा और आप चर्चाओं में आएंगे तो आपके ऊपर आरोप लगना भी लगभग तय है कुछ आरोप गलत भी होते हैं कुछ आरोप संदिग्ध भी होते हैं।

आजकल उत्तर प्रदेश के बड़े शहर कानपुर के नए बाबा चर्चा के केंद्र में आ गए हैं. बाबा का ‘धार्मिक’ नाम है करौली बाबा, लेकिन इनका असली नाम संतोष सिंह भदौरिया है. करोली बाबा उर्फ संतोष सिंह भदौरिया पर आरोप है कि उनके चेलों ने नोएडा के डॉक्टर पर हमला कर दिया. हमले में डॉक्टर बुरी तरह से घायल हो गए हैं. फिर क्या था डॉक्टर ने मुकदमा दर्ज कराया और अब पुलिस जांच कर रही है। दरअसल डॉक्टर साहब बाबा की परीक्षा लेने लगे और उनके चमत्कार को देखने लगे और शायद उनका आरोप है कि बाबा के चमत्कार की पोल खुल गई और यही उनके लिए भारी पड़ गया। तो आइए जानते हैं कि करौली बाबा उर्फ संतोष सिंह भदौरिया कौन हैं?

ये किस्सा उस वक्त का है जब करौली बाबा, किसान नेता हुआ करते थे। किसानों के लिए आवाज उठाना, उनकी समस्याओं के लिए सड़क पर उतरा जाना।

बाबा संतोष सिंह भदौरिया मूल रूप से यूपी के उन्नाव जिले के बारह सगवर के रहने वाले हैं. बाबा के पेशे में आने से पहले वो किसान नेता हुआ करते थे और देश के दिग्गज किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के साथ काम किया करते थे. संतोष सिंह ने महेंद्र सिंह टिकैत के साथ कई किसान आंदोलनों में बढ़-चढ़कर कर भाग लिया. उसी समय कानपुर में किसान यूनियन बड़े नेता संतराम सिंह की हत्या हो गई. इसके बाद महेंद्र सिंह टिकैत ने संतोष सिंह भदौरिया को कानपुर के सरसोल क्षेत्र की देखरेख करने के लिए बागडोर सौंप दी.

इसी समय किसान यूनियन ने बड़ा प्रदर्शन किया और प्रदर्शन के दौरान किसान नेता संतोष सिंह की पुलिस से भिड़ंत हो गई. पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया. यूपी पुलिस ने उन पर गुंडा एक्ट के साथ में गैंगस्टर लगा दिया. जेल जाने के बाद संतोष सिंह भदौरिया एका-एक किसानों के बीच प्रसिद्ध हो गए.

इसी के बाद उनकी किस्मत बदलती चली गई. पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल से उनकी नजदीकियां बढ़ने के बाद संतोष सिंह भदौरिया को कोयला निगम का चेयरमैन बना दिया गया. बाद में सवाल उठाने के बाद उनको निगम से हटा दिया गया. इसी के बाद भदौरिया का उदय हुआ और उन्होंने ‘करौली आश्रम’ की स्थापना की.

किसान नेता संतोष सिंह भदौरिया अब बाबा बनकर प्रवचन करने लगे. धीरे-धीरे उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ने लगी और वो मजबूत होने लगे. उनके आश्रम में जड़ी-बूटियों से इलाज करने का दावा किया जाता है. आश्राम में करौली सरकार राधा रमण मिश्र और कामाख्या माता का मंदिर है. कानपुर और उसके आसपास के लोग संतोष सिंह भदौरिया को करौली बाबा के नाम से जानते हैं.

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