नए साल के शुरू होते ही जहां सर्दी का सितम जारी है तुम्हें खबरों ने माहौल को गर्म कर रखा है एक तरफ जहां मुख्तार अंसारी के ऊपर ताबड़तोड़ कानूनी कार्रवाई हो रही है, बाबा बुलडोजर का रौद्र रूप दिखा, संपत्तियों की कुर्की हुई, ईडी का शिकंजा कसा, गाज़ीपुर स्पेशल कोर्ट द्वारा 10 साल की सज़ा सुनाई गई और 3 जनवरी को बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी का सामना भी कोर्ट में हो सकता है तो वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट से मुख्तार को बड़ी राहत मिली है। सात साल की सज़ा पर रोक लगा दी गई है।
जी हां सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मऊ के पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की सजा पर रोक लगा दी। अंसारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा उन्हें दोषी ठहराने व साल साल की सजा सुनाने के आदेश को शीर्ष कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
यह मामला मुख्तार अंसारी द्वारा 2003 में एक जेलर को धमकाने व जान से मारने की धमकी देने का है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने सजा पर रोक लगाते हुए मामले में उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है। उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व सदस्य अंसारी को निचली कोर्ट ने दोषमुक्त किया था, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह आदेश पलटते हुए सात साल की सजा सुनाई थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अंसारी को 21 सितंबर 2022 को सजा सुनाई थी।
यह मामला 2003 का है। तब लखनऊ के जिला जेलर एसके अवस्थी ने आलमबाग थाने में एफआईआर दर्ज करा कर आरोप लगाया था कि अंसारी ने उन्हें धमकी थी। अवस्थी ने अपनी शिकायत में कहा था कि उन्होंने जेल में बंद अंसारी से मिलने आए लोगों की तलाशी लेने का निर्देश दिया था, इस पर उन्हें धमकी दी गई थी। अवस्थी ने यह भी आरोप लगाया था कि अंसारी ने उन पर पिस्तौल तान दी और उनके साथ दुर्व्यवहार किया था।
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