पुष्प कमल दहल प्रचंड के नेपाल के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत की निगाहें नई सरकार के भावी रुख पर टिकी हैं। अगर प्रचंड ने अपने पूर्ववर्ती केपी शर्मा ओली की तर्ज पर सीमा विवाद मामले को तूल दिया तो दोनों देशों के बीच नए सिरे से तकरार शुरू होगी। भारत के लिए राहत की बात यह है कि प्रचंड ने जिन दूसरे छह दलों के साथ सत्ता हासिल की है, उसमें ओली के यूएमएल को छोड़ कर शेष पांच दलों का रुख भारत विरोधी नहीं है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल भारत की निगाहें प्रचंड पर टिकी हैं। प्रचंड का भारत के प्रति रुख में स्थायित्व नहीं रहा है। शुरुआती दौर में वह भारत विरोधी और चीन समर्थक थे, लेकिन बाद में भारत के प्रति उनका रुख नरम हुआ। देखने वाली बात है कि इस बार प्रचंड किस भूमिका में होते हैं।
Categories: Apna Uttar Pradesh