अभिनेन्द्र की कलम से…
हमारे देश में पत्रकारिता दो हिस्सों में बट गई है. लेकिन पत्रकार से पीआर बनने के दौर में अभी भी पत्रकारिता का अस्तित्व जिन्दा है. भले ही विशेष विचारधारा से ग्रसित होकर पत्रकारिता में निष्पक्षता ख़त्म हो रही है और पत्रकारिता वेंटिलेटर पर जा रही है लेकिन अब भी ओक्सिजन उपलब्ध जिसने पत्रकारिता के अस्तितिव को मरने नहीं दिया. चाहे लोकतंत्र की हत्या कर उस पर तांडव करने वाले कुछ नेता अपनी तानाशाही दिखने की लाख कोशिश करें. समाज का सुचना तंत्र उनके कई अवतारों के बाद भी ख़त्म नहीं होगा.
लोकतंत्र के चौथे स्तम्ब की संज्ञा देकर झूठा सम्मान करने वाले कुछ नेताओं की पोल उनके स्वार्थ से भरे राजनीति की वजह से खुल जाती है. उत्तर प्रदेश के जनपद गाजीपुर में लोकतंत्र की हत्या का सामूहिक प्रदर्शन हुआ. कई कैमरों में ये सारा दृश्य रिकॉर्ड हुआ. शर्म राजनीति के दलदल में दब गया था. दबंगई, गुंडई और तानाशाही वाला रवैया जनता की समस्याओं और लोकतंत्र का गला घोट रहे थे. ईमानदारी पैर से रौंदी जा रही थी और कुछ जनप्रतिनिधि लोकतंत्र की जान बचाने का प्रयास तो कर रहे थे लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी.
वो विपक्ष जो सत्ता पक्ष को तानाशाह बताता है, पत्रकारों के ऊपर हो रहे अत्याचार को राजनितिक ढाल बनता है, उस विपक्ष के कुछ नेताओं ने ये साबित कर दिया की सत्ता ही ताक़त है और ताकत ही तानाशाह है. जनता को ये सारा दृश्य शादी के विडियो की तरह संभल कर रखना चाहिए और बार बार इसे देखना चाहिए. उन्हें देखना चाहिए की किस तरह जातिगत और धार्मिक मानसिकता में उलझा कर ये नेता अपना पॉकेट भरने के लोकतंत्र की सामूहिक हत्या करते हैं. उन्हें कोई मतलब नहीं की जनता की समस्याओं का समाधान हो या न हो. उन्हें बस मतलब है ठेका हमें ही मिलना चाहिए, कुर्सी हमें ही मिलना चाहिए. खास तौर से उन अंधे समर्थकों को अपनी आँखें खोल कर देखना चाहिए कि अभी तो जनता के सुविधाओं के दोहन पर लोकतंत्र की हत्या हो रही है कल उनके विश्वास की भी हत्या होगी.
जिला पंचायत सभागार में जिला पंचायत की सामान्य बैठक शनिवार की दोपहर में जिला पंचायत अध्यक्ष सपना सिंह की अध्यक्षता में हुई। इसमें विधायक, जिला पंचायत सदस्य और ब्लॉक प्रमुख समेत अधिकारी मौजूद रहे। बैठक की शुरुआत में कुछ सदस्यों ने अध्यक्ष के खिलाफ हो-हल्ला शुरू कर दिया।बैठक में चर्चा का विषय भाजपा के एमएलसी विशाल सिंह चंचल की अनुपस्थिति रही। शाम तक चली बैठक में यह चर्चा तब और जोर पकड़ने लगी जब तमाम विरोध और हंगामे के बीच सदन ने कार्यवाही पूरी कर ली गई। सामान्य बैठक को लेकर कई जिला पंचायत सदस्य और जनप्रतिनिधि काफी दिनों से प्रयासरत थे। जिनके मंसूबे बैठक में पूरा नहीं हो सके। अंत तक जाते-जाते खेमेबाजी कमजोर पड़ गई।
बैठक के पहले ही दो खेमे साफ नजर आ रहे थे। अपर मुख्य अधिकारी की ओर से बैठक आहूत करने के साथ ही जिला पंचायत के कामकाज आदि को लेकर कई सवाल उठाए गए। धीरे-धीरे अध्यक्ष के खेमे से 50 से अधिक जिला पंचायत सदस्य और ब्लॉक प्रमुख की आवाज उठने से पूरा सदन धीरे-धीरे सत्ता पक्ष की ओर झुक गया।जिला पंचायत द्वारा संचालित वाहन स्टैंड जमानियां, मुहम्मदाबाद पर आवश्यक व्यवस्था किये जाने की स्वीकृति प्रदान की गई। सदन के पटल पर अन्य कई प्रस्ताव विचार विमर्श के लिए प्रस्तुत हुए। सदर विधानसभा के ग्राम पंचायत चौकिया में पोल शिफ्टिंग के लिए 3,33,871 रुपये जिला पंचायत से स्वीकृत हुआ। जिला पंचायत का पुनरीक्षित बजट वर्ष 2022-2023 मूल बजट 2023-2024 अनुमोदित किया गया। जिला पंचायत के दो कर्मियों के भवन अग्रिम का अनुमोदन भी हुआ।
इसी बिच सपा के जिला पंचायत सदस्यो ने अध्यक्ष के ऊपर मनमानी का आरोप लगाते हुए हमला किया तो जिला पंचायत अध्यक्ष सपना सिंह ने कहा कि सपा के माननीय सदस्य ईंट-भट्ठो पर हमारी बेइज्जती करते है तो इसमे जिला पंचायत की मर्यादा नही जाती है, जिला पंचायत अध्यक्ष के पलटवार से सपा सदस्यो की किरकिरी होते देख पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह ने पत्रकारो को कहा कि आप लोग बैठक से बाहर जाइए, यहां आप लोगो का क्या काम है। इस पर पत्रकारो ने कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि हम पत्रकारो को जिला पंचायत अध्यक्ष के अनुमति से जिला सूचनाधिकारी के आदेश पर बुलाया गया है इसलिए हम लोग सामाचार कवरेज के लिए यहां आये है, हमारे लिए यहां पर मीडिया दिर्घा भी बना हुआ है। इसपर जिला पंचायत अध्यक्ष सपना सिंह ने कहा कि हमने पत्रकारो को बुलाया है और यह सदन से बाहर नही जायेगे, मंच से जिला पंचायत अध्यक्ष ने सदन में भी घोषणा की। मामले की गंभीरता को देखते हुए जंगीपुर विधायक वीरेंद्र यादव और मोहम्दाबाद विधायक ने बीच-बचाव कर मामले को शांत किया। इसके बाद पत्रकार शांत हुए और आगे सदन की कार्यवाही चली।
अब ओम प्रकाश सिंह के रवैये पर भाजपा की पूर्व विधायक सुनीता सिंह ने निंदा की है. सवाल ये है कि आखिर सत्ता पक्ष और विपक्ष आपस में भिड़ा क्यों? लोगों का कहना कि जिला पंचायत के चुनाव में तो सपा समर्थित करीब 40 प्रत्यासियों की जीत हुई थी लेकिन अध्यक्ष भाजपा का बना. तब क्यों नहीं विवाद हुआ? इस बैठक में भाजपा समर्थित ब्लाक प्रमुखों का भी तेवर देखने को मिला.
खैर ये सब जनता को ही देखना है. एक पुरानी कहावत है जैसा बोवोगे वैसा ही काटोगे. तो भैया अब गाजीपुर के विकास का सपना, सपना ही है या कुछ और…
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