Apna Dilli

अब “आप” के हवाले पूरी दिल्ली…

दिल्ली नगर निगम चुनाव (MCD Election Result) के नतीजे आ चुके हैं। आम आदमी पार्टी को एमसीडी में जीत मिली है। मतलब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की ही सरकार है और अब मेयर भी आप का ही होगा। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका मिला है। पिछले 15 साल की सत्ता भाजपा के हाथों से छिन गई।

दिल्ली नगर निगम में कुल 250 वार्ड हैं। इनपर चार दिसंबर को मतदान हुआ था। इस बार कुल 50.47 प्रतिशत लोग ही वोट डालने पहुंचे। चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो 250 में से 134 वार्डों में आम आदमी पार्टी की जीत हुई है। भारतीय जनता पार्टी को 104 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। कांग्रेस के खाते में नौ सीटें गईं। तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव में जीत हासिल की है। वोट शेयर के हिसाब से देखें तो एमसीडी में आम आदमी पार्टी को 42.20% वोट मिले। भारतीय जनता पार्टी के खाते में 39.02% वोट गए। कांग्रेस को 11.68% वोट मिले। 3.42 फीसदी लोगों ने निर्दलीय प्रत्याशियों को वोट किया।

दिल्ली MCD चुनाव के नतीजों ने तो भाजपा के माथे पर सिकन बाधा ही दिया है. सवाल भाजपा के कमजोर होते जनसमर्थन का है. बड़े बड़े दिग्गजों के प्रचार के बाद भी भाजपा 104 सीटों पर सिमट गई. लेकिन यहाँ एक सवाल और खड़ा होता है कि कांग्रेस अपनी स्थिति नहीं सुधार सकी.

इधर उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव होने वाले हैं. सीटों के आरक्षण को लेकर तस्वीरें अब धीरे धीरे साफ़ हो रही हैं. वहीँ गाजीपुर जनपद की आठ नगर निकायों के अध्यक्ष पद के लिए सोमवार को आरक्षण की सूची जारी हो गई। इसमें तीन नगर पालिका परिषद और पांच नगर निकायों में से पांच सीटें अनारक्षित और तीन सीटें आरक्षित हैं। इसके बाद नगर निकायों में चुनाव को लेकर सरगर्मी काफी बढ़ गई है। साथ ही संभावित दावेदारों ने अपनी भागदौड़ शुरू कर दी है। नगर पालिका परिषदों में गाजीपुर की सीट अनारक्षित, जमानिया और मुहम्मदाबाद में महिला आरक्षण घोषित किया गया है। नगर पंचायत सैदपुर अनुसूचित जाति, जंगीपुर, दिलदारनगर, सादात व बहादुरगंज की सीट अनारक्षित है।

जानकारों का मानना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने स्कूल, बिजली और पानी पर वोट मांगें. लेकिन सवाल ये हैं कि गाजीपुर में भाजपा हो या सपा या अन्य. वो किस माडल पर वोट मंगेंगें? दिल्ली के यूपी के उप चुनाव, गुजरात और हिमाचल के चुनाव कि स्थिति को देखकर जानकार कहते हैं कि भाजपा अपने गढ़ गुजरात में तो मजबूत है लेकिन एनी जगहों का हाल देख कर ये सपष्ट हो रहा है कि अब जनता का विश्वास घट रहा है.

गाजीपुर नगरपालिका क्षेत्र में पिछले 10 सालों में क्या क्या हुआ? इसकी एक सूचि जरुर बना लीजिये. लेकिन इतना याद रखिये 10 सालों से यहाँ भाजपा की सत्ता है, केंद्र में भी भाजपा और 5 सालों से राज्य में भी भाजपा. बड़े बड़े कामों को छोडिये, क्या आप का शहर, शहर है या कोई क़स्बा? इसका जवाब जरुर लिख रख लीजिये. शहर में पार्किंग की व्यवस्था करना क्या इतना कठिन था कि अरबों का बजट लग जाता. शहर में रेडी पटरी वाले दुकानदारों को व्यवस्थित करना क्या इतना कठिन था की पुरे प्रदेश के बजट कि जरुरत पद जाती. अतिक्रमण को हटाना और इसपर रोक लगाना, ये कितना कठिन था. अपने ही शहर को नर्क स्थिति में बनाये रखना. क्या ये शर्म की बात नहीं है. ये सब काम करने के लिए बस एक सकारात्मक सोच की जरुरत थी. शहर को सुन्दर बनाया जा सकता था. ट्रैफिक को व्यवस्थित करने के लिए दुकानों को व्यवस्थित कर, पार्किंग की व्यवस्था कर, सड़कों पर डीवाईडर का निर्माण कर शहर को सुंदर बनाया जा सकता था. इसके लिए प्रयास करने की जरुरत थी. केंद्र और राज्य में सत्ता भी भाजपा की है तो प्रयास सफल हो सकता था. लेकिन ये सफल क्यों नहीं हुआ? इसका जवाब भी लिख कर रखना.

ये काम न सपा के विधायक कर पाए और न भाजपा के चेयरमैन. लेकिन असली जिम्मेदारी चेयरमैन की थी. ये हाल गाजीपुर जनपद तक़रीबन सभी नगर निकायों का है. अब सपा हो या भाजपा, टिकट के लिए दोनों ही दलों में युद्ध शुरू जरी है. अभी ये आपस में लड़ रहे हैं और कल आपके समे लोक लुभावने वादे लायेंगें, फिर एक दुसरे से लड़ेंगें. चुनाव सर पर है तो ताबड़तोड़ सड़कों का उद्घाटन भी हो रहा है. लेकिन उन सड़कों कि गुड़वत्ता कैसी है? इसका जाँच होना अभी बाकि है.

Leave a Reply