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गाजीपुर: गिरफ्तार शिक्षा माफिया ने खोल दिए कई राज?

Special Report || समाज में किया गया हर वो काम जिससे समाज का नुकशान पहुँचता हो और कानून की नज़र में गैरकानूनी हो. जिससे देश का सम्मान घटता हो वो देश द्रोह के श्रेणीं में आना चाहिए. आज की इस रिपोर्ट में अधिकारीयों की इमानदारी झलक रही और राजनीति की रणनीति से बू आ रही है.

कोर्ट जब तक किसी को दोषी न करार दे तब तक वो दोषी नहीं होता. धर्म और जातिगत मानसिकता से बीमार समाज शायद अपना कानून खुद बना लेता है इसलिए नेताओं के आकर्षित करने वाले भाषणों को सुनकर अपने पसंद के हिसाब से किसी को भी दोषी करार दे देता है और सही जानकारी पहुंचाने की जिम्मेदारी रखने वाले कुछ पत्रकार नेताओं के कार्यकर्ताओं से गाली सुनने के बाद भी उन नेताओं और उनके आकाओं के प्यार में अंधे हो जाते हैं. निष्पक्षता को छोड़ एक विचारधारा के प्रवाह में बह जाते हैं. जब समाज को जागरूक और विकसित करने वाले ही ऐसे होंगे तो भारत माता ऐसे समाज से उम्मीद भी क्या कर सकती हैं. खैर राजनीति की आड़ में समाज को खोखला करने वालों की पोल कभी कभी खुद ही खुल जाती है. उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश किसान मोर्चा के कोषाध्यक्ष विजय यादव और सहयोगियों की पोल ऐसी ही खुल गई जब आयुष कॉलेजों में छात्रों के दाखिले में हुए चर्चित घोटाले में यूपी एसटीएफ की टीम ने शुक्रवार को इनको गिरफ्तार किया.

जी हाँ वही आयुष भारती घोटाला जिससे यूपी में भाजपा सरकार की किरकिरी हो रही है, जिसको लेकर विपक्ष लगातार भाजपा सरकार पर निशाना साधती है. खैर हो सकता है विपक्ष की ये बातें आपको न पता हों, आजकल मीडिया विपक्ष को दिखाती भी कहाँ है. चाहे वो मंदिर में दंडवत प्रणाम भी क्यों न करे. आपने व्यापम घोटाले का नाम तो सुना ही होगा. अरे वही घोटाला जो मध्य प्रदेश में पहले शिवराज सिंह चौहान की सरकार के दौरान हुआ था. ये भी मेडिकल विभाग का ही घोटाला था. इसके ऊपर वेब सीरिज भी बन चुकी है. इस घोटाले में एक व्यक्ति का नाम आया, मुकदमे दर्ज हुए और उस व्यक्ति को ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने यूपी विधानसभा चुनाव में टिकट दिया और आज वो विधायक है और ओपी राजभर भाजपा के प्रंशसक.

खैर ख़बरों के अनुसार एसटीफ, विजय यादव को पूछताछ के लिए वाराणसी एयर पोर्ट से उठाकर लखनऊ लाई थी। पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार किया गया है। विजय यादव कोई सामान्य आदमी नहीं है. उसके कई कॉलेज हैं. गाजीपुर जिला पंचायत चुनाव में विजय यादव ने अपनी पत्नी को मैदान में उतारा था, भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष का उम्मीदवार बनने वाली थी. लेकिन राजनितिक कारणों से सपना सिंह को उम्मीदवार बनाया गया. विजय यादव की गिनती भाजपा के कद्दावर नेताओं में होती. ये खबर आते ही राजनीति गलियारों में चर्चाओं का बाज़ार गर्म हो गया. कुछ लोग कहने कहने लगे कि राजनीति कभी इमानदार नहीं हो सकती, लेकिन ये कुछ ही लोग थे ज्यादातर तो पार्टी का बचाव करते नज़र आये. कहने लगे कि ये पहले सपा में थे फिर भाजपा में आये. लोगों ने कहा ऐसे तो अन्य नेता भी हैं लेकिन उनपर कोई दाग नहीं है. सवाल ये है कि क्या किसी को ये नहीं पता था कि इनके कॉलेज में प्रवेश कैसे होता है? या पता सब था और राजनीति ऐसे ही चलती है.

बता दें कि आयुष कॉलेजों में हुए घोटाले की जांच-पड़ताल कर रही एसटीएफ को पूर्वांचल के आधा दर्जन से अधिक कॉलेज प्रबंधकों के भी शामिल होने की जानकारी मिली थी। इसी आधार पर एसटीएफ की टीम लगातार इन प्रबंधकों की गतिविधियों पर नजर रखते हुए इनके बारे में जानकारी एकत्र कर रही थी। इसी कड़ी में एसटीएफ एक दिन पहले विजय को वाराणसी से लखनऊ लाकर पूछताछ कर रही थी। एसटीएफ यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि छात्रों के दाखिले में कॉलेज के किन.किन लोगों की भूमिका रही है।

ख़बरों के मुतबिक आयुष घोटाले में पूर्व में गिरफ्तार किए गए अन्य आरोपियों से हुई पूछताछ में मिले इनपुट के आधार पर एसटीएफ कई कॉलेज संचालकों और प्रबंधकों के बारे में गोपनीय सूचना जुटा रही थी। इसके आधार पर ही शिक्षा माफिया डॉ. विजय यादव से पूछताछ की गई। उनसे मिली कई अहम जानकारियों पर एसटीएफ कुछ और लोगों को जल्द ही गिरफ्तार कर सकती है। कई कॉलेजों के प्रधानाचार्य और प्रबंधक भी एसटीएफ के निशाने पर हैं। विजय यादव का गाजीपुर के सादात के मरदापुर में केवीएस इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदिक मेडिकल साइंस कॉलेज और वाराणसी में डॉ. विजय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज है। सूत्रों के मुताबिक केवीएस इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदिक मेडिकल साइंस कॉलेज में आवंटित सीटों की संख्या 60 है, जिसमें 36 सीट पर संदिग्ध दाखिले का मामला सामने आया है। ऐसे ही वाराणसी में डॉ. विजय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में आवंटित सीटों की संख्या 60 है जिसमें तीन सीट पर संदिग्ध दाखिले का आरोप है। एसटीएफ की कार्रवाई के बाद गड़बड़ी वाले कॉलेजों में हलचल मची हुई है।

वैसे तो भाजपा ने विजय यादव की सदस्यता रद्द करने की बात कही है लेकिन इससे क्या इस रिश्ते का कलंक धुल जायेगा? खैर गलती राजनितिक दलों की नहीं है. गलत को सही समझने वाले समाज की है. नुकशान भी तो इन्ही का है, ये जरुर है कि अन्य भी इसका शिकार हो जाते हैं.

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