गाज़ीपुर। डेंगू का प्रकोप जनपद में बढ़ता जा रहा है। अब आंकड़े भी सामने आ रहे हैं। शनिवार को आए आंकड़ों के अनुसार आज तक किट के द्वारा जांचे गए संदिग्ध डेंगू मरीजों की संख्या – 4412 है, किट द्वारा पॉजिटिव पाए गए मरीजों की संख्या 224 और अब तक पुष्टि हेतु IMS BHU भेजे गए संदिग्ध डेंगू के सैंपल 224 हैं, यानी 224 को BHU पुष्टि के लिए भेजा गया और 218 का परिणाम प्राप्त 6 का परिणाम प्रतिक्षित है।
बताया जा रहा है कि गाजीपुर जनपद में 127 डेंगू पॉजिटिव हैं, अन्य जनपद के- 5 हैं, नेगेटिव- 63, इब्नीकल-23 हैं।
दावा है कि जनपद में डेंगू तथा अन्य मच्छर जनित बीमारियां पूरी तरह नियंत्रण में है| डेंगू के उपचार हेतु जिला अस्पताल में 25 बेड उपलब्ध है, जिनमे केवल एक ही मरीज एडमिट है तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 60 बेड आरक्षित किए गए हैं। जहां कोई मरीज एडमिट नही है और निजी अस्पतालों में 32 बेड आरक्षित हैं, वो भी खाली हैं।
ध्यान दीजिए ये रिपोर्ट 26 नवंबर 2022 को जारी की गई है। अब इस रिपोर्ट के आंकड़े कब से लेकर कब तक के हैं ये नही लिखा है, रिपोर्ट में मरने वालों की संख्या नही है। लेकिन जो सूचना हमारे पास आई है, उसमे बताया गया की डेंगू से मौत हुई है।
रिपोर्ट में दावा है कि डेंगू के उपचार हेतु सभी आवश्यक दवाइयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं| डेंगू से प्रभावित ग्रामो में मोबाइल मेडिकल यूनिट के द्वारा भ्रमण कर मौके पर ही बुखार पीड़ितों का उपचार किया जा रहा है | ऐसे में किसी भी बुखार पीड़ित को घबराने की कतई आवश्यकता नहीं है | अन्य वायरल बीमारियों में भी प्लेटलेट्स की कमी हो सकती है, अतः प्लेटलेट्स की कमी होना डेंगू होना नहीं है | बुखार के मरीज अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करें | बुखार के उपचार हेतु अनधिकृत चिकित्सक अथवा स्वयं उपचार नहीं करें | अब तक प्राप्त 153 डेंगू पॉजीटिव मरीज उपचार के उपरांत स्वस्थ होकर स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं | इन 153 मरीजों में से 43 मरीज अन्य प्रदेशों अथवा जनपदों से बीमारी के उपरांत जनपद में आए थे जो जांच में डेंगू पॉजीटिव पाए गए | इसमें से अधिकांश मरीज उपचार के उपरांत स्वस्थ होकर अपने कार्यस्थल के प्रदेशों तथा जनपदों में वापस जा चुके हैं। सभी मरीजों का नियमित फॉलोअप लिया जा रहा है तथा प्रभावित ग्राम/मोहल्ले में तत्काल निरोधात्मक कार्यवाही स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा की जा रही है |
अच्छी बात है ये अधिकारियों की तत्परता हैं कि कम से कम ऐसे रिपोर्ट से सरकार भी खुश होगी और साहब का नंबर भी बढ़ेगा। लेकिन एक बात जनता को नहीं पच रही।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामो / मोहल्लो में साफ-सफाई तथा कीटनाशकों हेतु जिला पंचायती राज अधिकारी एवं नगर निकायों के अधिशाषी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है |
10 पहले में समाचार पत्र में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुआ जिसमे लिखा था कि यूपी में डेंगू के मरीजो की संख्या और तेज बुखार के चलते मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। लखनऊ, मेरठ, बाराबंकी, अलीगढ़, बरेली, कानपुर, फतेहपुर जिलों के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में डेंगू और बुखार के मरीज भरे पड़े हैं। वहीं यूपी सरकार के पास डेंगू का मच्छर मारने के लिए कीटनाशक छिड़कने को मिट्टी का तेल उपलब्ध नहीं है।
मिट्टी का तेल न होने के कारण नहीं हो रहा कीटनाशक का छिड़काव यूपी में डेंगू फैलाने वाले मच्छर एडीज एजिप्टी को मारने के लिए कीटनाशक छिड़कने को केंद्र से 55 हजार लीटर मिट्टी का तेल मांगा गया है। एक लीटर पैराथम कीटनाशक में 19 लीटर मिट्टी का तेल मिलाकर छिड़काव किया जाता है। मिट्टी का तेल न होने के कारण छिड़काव नहीं हो पा रहा था।
सरकार गाइडलाइंस जारी करती है, उसे जनता की चिंता है लेकिन स्थानीय अधिकारी क्या करते हैं? जिससे सरकार की किरकिरी होती है?
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