वाराणसी | बम बम बोल रहा है काशी. अद्भुद अतुलनीय अविश्वसनीय तस्वीरें. जी हाँ बात वाराणसी की हो रही है. वो वाराणसी जिसे काशी कहते हैं. शिव की नगरी काशी. जहां प्रधानमंत्री के अद्भुद प्यार को देखकर लोग गदगद हो गए हैं. 8 सालों में काशी की तस्वीरें ऐसी बदली की जैसे भगवान् शंकर का किसी ने श्रृंगार किया हो. शिव की नगरी के काशी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कशी की तस्वीर बदल दी है और अब सनातन संस्कृति के दो पौराणिक केंद्रों के मिलन के अद्भुत आयोजन काशी तमिल संगमम का शनिवार को शुभारम्भ भी कर दिया. काशी और तमिल के अटूट रिश्ते से हर काशी वासी वाकिफ है.
बीएचयू के एंफीथियेटर मैदान में आयोजित भव्य समारोह में प्रधानमंत्री तमिलनाडु के प्रमुख मठ मंदिरों के अधीनम (महंत) को सम्मानित किया। साथ ही, तमिल प्रतिनिधिमंडल में शामिल छात्रों से संवाद भी किया। इस दौरान तमिल भाषा में लिखी गई धार्मिक पुस्तक तिरुक्कुरल व काशी-तमिल संस्कृति पर लिखी गईं किताबों का प्रधानमंत्री के हाथों विमोचन भी हुआ।
काशी से तमिलनाडु के वर्षों पुराने संबंध को मजबूत करने के लिए शिक्षा मंत्रालय की ओर से आयोजित काशी तमिल संगमम का शुभारंभ करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी दोपहर में बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचें। यहां से हेलीकॉप्टर से बीएचयू हेलीपैड तक गए। समारोह में प्रधानमंत्री ने काशी से तमिलनाडु के अटूट रिश्तों पर आयोजित प्रदर्शनी व मेले का भी शुभारंभ किया।
प्रधानमंत्री के आगमन पर मीडिया ने काशी के अकल्पनीय विकास को रज रज के दिखाया और वास्तिक विकास तो जनता की आँखों में तो चमक ही रहा है.
काश की मैटनी शो वाली मीडिया का कैमरा काशी की उन गलियों चला जाता जहाँ नाले का पनी बजबजा रहा है. आशापुर में ओवर ब्रिज तो बन गया लेकिन उस ब्रिज का मानक और जल निकासी समस्या. वहां रहने लोगों के तकलीफ दायक तो जरुर है लेकिन जब धर्म की रक्षा हो रही है तो उस दर्द की बलि चढाने को तैयार हैं. जब वहीँ रास्ता गाज़ीपुर की तरफ आता है तो एक फोर लेन मिलता है. हाईवे तो है लेकिन रोड लाइट कहीं कहीं लगी हुई हैं. सैदपुर पहुँचने पर पता चलता है कि सीएम योगी ने अल्टीमेटम न दिया होता बाज़ार की सड़कों पर दुर्घटनाओं की संख्या कम नहीं होती. दरअसल सैदपुर की सड़कों स्थिति लम्बे अरसे दयनीय थी. अब वहां पिच बिछाने का कार्य हुआ है. जब हम गाजीपुर आते हैं तो लगता है ये भी कोई क़स्बा होगा. शहर की अनुभूति कहीं से नहीं होती. महाराजगंज से लंका आने तक ये महसूस हो जाता है कि सडकें चौड़ी हो सकती हैं. डीवाईडर और सुन्दरीकरण का कार्य हो सकता है लेकिन किसी को इसमें रूचि नहीं.
खबर आई कि गाजीपुर में शहर के महिला डिग्री कॉलेज वाले रोड पर डीवाईडर और सुन्दरीकरण का कार्य होने वाला था. शुरू भी हुआ लेकिन रोक दिया गया. शहर की तमाम सड़कें और गलियां एक तरफ जहां सीवरेज पाइप लाइन खुदाई के चलते गड्ढों में तब्दील हो चुकी है । वही जिम्मेदार विभाग द्वारा सड़कों की मरम्मत में लापरवाही से शहर वासियों का गुस्सा दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। इतना ही नही अब तो अच्छी खासी पिच रोड के बीच खुदाई किए जाने से लोगों का आक्रोश और दोगुना हो चुका है । लोग सड़क के बीच हुई इस खुदाई की वजह भी नहीं समझ पा रहे हैं । वही कार्यदाई संस्था खुदाई कर लापता हो जा रही है । अभी कुछ दिनों पहले ही शहर के बीचोबीच खूब चौड़ी सड़क का निर्माण आमघाट महिला कॉलेज के सामने हुआ था , लेकिन आज कल आप देखेंगे कि ये सड़क खुद गयी है और दोनों तरफ से यातायात पुलिस का बोर्ड लग गया है ।
दरअसल गाजीपुर शहर में सिचाई विभाग से चर्च रोड और महिला डिग्री कॉलेज से गर्ल्स कॉलेज रोड का चौड़ीकरण, डीवाईडर और सुन्दरीकरण का कार्य होना था. जो लम्बे समय तक नहीं हुआ. इस बाबत हमने नगरपालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि विनोद अग्रवाल से बात भी क्या था तो उन्होंने उस वक़्त कहा था कि शीवर लाइन का काम होने के बाद ये कार्य होगा ताकि राजस्व की छती ना हो. चर्च रोड पर तो शीवर का काम हो गया लेकिन डीवाईडर और सुन्दरीकरण का कार्य नहीं हुआ. इधर महिला डिग्री कॉलेज रोड पर शिवर का कार्य नहीं हुआ लेकिन लोगों के अनुसार डीवाईडर और सुन्दरीकरण का कार्य शुरू होने लगा. अब नगरपालिका का चुनाव सर पर है तो ये भी गंभीर सवाल है. लेकिन इओ साहब का गजब जवाब है कि उनके पास इन सवालों का नही कोई जवाब है.
लोगों का कहना है कि अपने शहर को विकसित और खुबसूरत देखने का सपना वहां के निवासी ही देख सकते हैं, अधिकारी तो दुसरे शहरों से बस नौकरी करने आते हैं. खैर, निगाहें तो अब गाजीपुर के हमीद सेतु पर भी नहीं जाती. किसी को क्या पड़ा है. पूल टूटे या रहे. जब दुर्घटना होगी तो सरकार है ही मुवावजा देने के लिए. सरकार की आँखों में धुल झोंकर लगातार भारी वाहनों की आवाजाही हो रही है. कई वर्ष बीत गए लेकिन यहाँ स्ट्रीट लाइट का मरम्मत नहीं हुआ. रात के अँधेरे में ओवरलोड के खेल ने न जाने कितनों की पॉकेट गर्म की. लेकिन वो ये भूल गए कि उन पैसों से उनका जीवन कैसा होगा. बुजुर्ग बताते हैं कि हराम का पैसा जिन्दगी बर्बाद कर देता है. बुढ़ापे में कष्टदायी हो जाता है. इसका असर बच्चों पर भी पड़ता है, बच्चों को कोई न कोई बीमारी हो जाती है. परिवार बिखर जाता है और ताकत ख़त्म होते ही, जिन्दगी बर्बाद हो जाती है.
खैर ये तो बूढ़े पुराने लोग कहते हैं. सच्चाई तो ऐसा काम करने वाला ही जानता होगा या जानेगा. लेकिन कुछ लोग हैं जो समाज के हित का सोचते हैं. युवा समाजसेवी और पूर्व छात्रनेता दीपक उपाध्याय और उनकी टीम उनमे से ही हैं. जिन्होंने हमीद सेतु की रक्षा का प्रण ले लिया है.
अब उम्मीद गाजीपुर के जिलाधिकारी से है कि वो इस गाजीपुर की लाइफ लाइन को बचाएंगी. दीपक, अभिषेक गौण,शैलेश यादव, राहुल, अश्वनी राय इत्यादि का कहना हैं कि जिलाधिकारी ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जनहित में तत्काल प्रभाव से स्ट्रीट लाइट लगवाने व पुल के दोनों साइड जालीदार जाली लगाने का आश्वासन दिया है.
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