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जबरन धर्मांतरण पर SC ने जताई नाराजगी…

विश्व का सबसे मजबूत लोकतंत्र यानि भारत. यहाँ हर एक व्यक्ति को स्वतंत्रता से जीने का अधिकार है. लेकिन धर्म अब एक बड़ा मुद्दा है और इसको लेकर अब एक लम्बी बहस चल रही है. लव जेहाद और बहल फुसलाकर कर धर्मांतरण का मुद्दा इस वक़्त का सबसे गंभीर मुद्दा है. इस मुद्दे को लेकर सरकारों ने अलग अलग कानून भी बनाये. लेकिन फिर भी कानून के उलंघन कि खबरें आती रहती हैं.

देश की शीर्ष अदालत में सोमवार को जबरन धर्मांतरण मसले पर सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये एक गंभीर मसला है। इससे देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर मामले का अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। कोर्ट ने केंद्र से हलफनामा दाखिल कर जबरन धर्मांतरण के मामलों को रोकने के लिए उठाए गए कदमों और एहतियातों के बारे में बताने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जबरन धर्मांतरण बहुत गंभीर मुद्दा, यह राष्ट्र की सुरक्षा और धर्म की स्वतंत्रता को प्रभावित करता है. बता दें, कई राज्यों में जबरन धर्मातरण के खिलाफ कानून बनाए गए है. इन राज्यों में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक शामिल हैं. उत्तर प्रदेश की सरकार ने वर्ष 2021 में गैरकानूनी तरीके से धर्मांतरण कराने को लेकर कानून लागू किया था. वहीं कर्नाटक में ये कानून इसी साल लागू हुआ.

इस कानून में गलत व्याख्या, किसी के प्रभाव में आकर, जबरदस्ती, किसी दबाव में आकर, कोई लालच के बाद धर्मांतरण करने पर सजा का प्रावधान है. रिपोर्ट्स की मानें तो, धर्मांतरण के मामले में अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे तीन से पांच साल की सजा हो सकती है और 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है. इसमें भी नाबालिग, महिला, एससी-एसटी के धर्मांतरण को लेकर अलग प्रावधन है. इस स्थिति में तीन से दस साल की सजा और 50 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान है.

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