गाजीपुर | स्वार्थ, लालच और ख़त्म होती मानवता. ये लक्षण केवल गैरों में नहीं होते कभी कभी अपनों में भी होते हैं और इसकी वजह ज्यादातर संपत्ति और पैसा होता है. ये बीमारी जब गहरी और गहरी होती जाती है तो इसका अंत किसी की मौत से नहीं होता, अंत होता है मानवता की मौत से.
14 नवम्बर 2022, दिन सोमवार. पूरा देश बाल दिवस मना रहा था. भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु बच्चों से कितना प्यार करते थे इसके बारे आज के मासूम बच्चों को बताया जा रहा था. उत्तर प्रदेश के जनपद गाजीपुर से भी कुछ तस्वीरें सामने आयीं. गाजीपुर शहर के खोया मंडी स्थित किडजी स्कूल में छोटे छोटे बच्चे प्रतियोगिता में भाग ले रहे थे. बाल दिवस पर ज्ञान और मानसिक विकास की नई परिभाषा से मासूमों को रूबरू करवाया जा रहा था. तो वहीँ शहर के सुभाष नगर स्थित शाहफैज़ पब्लिक स्कूल में बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम के माध्यम से अपनी शिक्षा का परिचय दिया गया. उखी अतिथि के रूप में पहुंचे गाजीपुर बेसिक शिक्षा अधिकारी हेमंत राव ने बाल दिवस के महत्त्व पर प्रकाश डाला. डायरेक्टर नदीम अधमी ने बोर्ड परीक्षा में सर्वोच्च अंक लाने वाले छात्रों को सम्मानित किया. मकसद एक ही था ये बच्चे शिक्षित होकर देश का नाम रोशन करें. स्वार्थ और लालच से दूर होकर सबका सम्मान करें. अब अभिषेक यादव को देख लीजिये. अभिषेक युवा हैं, गाजीपुर में समाजसेवा का काम करते हैं, बाल दिवस पर अपने संस्कारों का परिचय देते हुए अभिषेक, छात्र नेता दीपक उपाध्याय और उनकी टीम ने जिला अस्पताल में दूध का वितरण किया. स्वार्थ और लालच को छोड़ अपने दादा लोकतंत्र सेनानी बाबूलाल मानव के साथ मिलकर और उनके मार्गदर्शन में चलकर समाज की सेवा कर रहे हैं. अभिषेक के साथ संदीप राय, विशाल चौधरी, अनूप, मोनू, इत्यादि युवा मौजूद थे.
जब 14 नवम्बर ये सब चल रहा था तो उसी दिन गाजीपुर शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर मोहम्दाबाद में सुबह पुलिस के पास फ़ोन आता है. एक बेटा अपनी माँ और बहन के लाश के साथ था, उसने पुलिस को फ़ोन किया, पुलिस मौके पर पहुंची और वहां का दृश्य देखकर दंग रह गई. पुलिस ने बताया कि हम जब मौके पर पहुंचे तो मां और बेटी के शव आंगन में पड़े हुए थे। दोनों के साथ मारपीट भी की गई थी। शरीर पर चोट के निशान थे। दोनों के मुंह से खून निकल रहा था। बेटे ने हत्या के पीछे गांव के एक युवक का नाम बताया था। पुलिस ने दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
बता दें मां कौशल्या देवी (75) और बेटी मालती देवी (35) की हत्या रविवार देर रात की गई है। बताया जा रहा है मां की तबियत खराब होने पर बेटी ससुराल से मायके अपनी मां की देखभाल करने आई हुई थी। वो करीब 15 दिन से मां के साथ ही रह रही थी। पूरा मामला मुहम्मदाबाद कोतवाली के कठौत गौसपुर गांव का है। साक्ष्यों को इकट्ठा करने के लिए फॉरेंसिक टीम को लगाया गया है।
लेकिन सवाल ये था माँ और बेटी की हत्या हो गई तो बेटा कहाँ था. बेटे गौरी राजभर ने पुलिस को बताया कि मैं रविवार दोपहर में गांव से बाहर चला गया था। मेरी मां और बहन घर पर अकेली थी। मैं एक रिश्तेदार की शादी में शामिल होने गया था। रात में गांव वापस आने में देरी हुई तो मैं अपने एक दोस्त के घर पर रुक गया। सुबह जब घर आया तो देखा मेरी मां और बहन को किसी ने मार दिया है।
यकीन माँ और बेटी की हत्या हुई कैसे? इधर आईजी रेंज वाराणसी के. सत्यनारायण और जिले के नवागत एसपी ओमवीर सिंह ने घटना स्थल का निरीक्षण करने के साथ परिजनों से पूछताछ की। बेटे ने पुलिस को बताया, वो प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता है। कुछ महीने पहले उसने गांव के एक युवक की जमीन बेच दी थी। युवक के बाहर होने के कारण उसने थोड़ा पैसा प्रधान को दे दिया था। वहीं थोड़ा पैसा खुद रख लिया था। कुछ दिनों बाद युवक उससे पैसे मांगने लगा। उसने पैसे न होने की बात कही तो वो धमकाने लगा। जिस पर युवक ने कहा कि मैं अपना घर बेचकर पैसा दे दूंगा। बस थोड़ा समय दे दो। इस बात को लेकर गांव में पंचायत भी हुई लेकिन कोई हल नहीं निकला।
बेटे ने दो नामजद और दो अज्ञात के खिलाफ एफ़आइआर दर्ज करवाया है. लेकिन सवाल ये है कि बेटा घर बेचकर पैसा देने वाला था तो उस पैसे का क्या हुआ जो उसने रखा था. उसके साथ पैसा रखने वाले ग्राम प्रधान का बैकग्राउंड क्या है? क्या घर के एनी सदस्य घर बेचने के लिए तैयार थे. अब यहीं होता है वो खुलासा, जिसने समाज की सारी सामाजिकता को तार तार कर दिया. माँ की ममता और बहन के प्यार का गला घोट दिया गया.
पुलिस को मामले की जांच से भटकाने के लिए आरोपी बेटे गौरी राजभर ने खुद ही पुलिस को हत्या की जानकारी दी। बेटे का पहले कहना था कि घटना के समय वो गांव से बाहर था। वो किसी रिश्तेदार की शादी में शामिल होने के लिए गया हुआ था। हलांकि पुलिस के सख्ती से पूछताछ करने पर बेटे ने सच बता दिया। बता दें, आरोपी बेटा प्रापर्टी डीलर है। वो पैसा चुकाने के लिए घर बेचना चाहता था लेकिन मां इसके लिए तैयार नहीं थी। इसीलिए उसने मां और बहन की हत्या कर दी।
उसका कहना था कि घर के कागज मां के नाम होने पर वो घर नहीं बेच पा रहा था। इसी के बाद उसने मां को मारने का प्लान बनाया। हलांकि वो बहन को नहीं मारना चाहता था लेकिन घर में होने के कारण उसको भी मारना पड़ा।
एक तरफ गाज़ीपुर में बच्चों को चाचा नेहरु के संदेशों को सुनाया जा रहा था, लालच और स्वार्थ से दूर होकर भविष्य को उज्जवल बनने का ज्ञान दिया जा रहा था. त्याग और समर्पण की परिभाषा सिखाई जा रही थी तो वहीँ दूसरी तरफ पुलिस के अनुसार एक बेटे ने लालच और स्वार्थ के लिए अपनी ही मान और बहन की हत्या कर दी. समाज की ये दो तस्वीरें आपको क्या सिखाती हैं. अंतत: शिक्षा ही एक स्वस्थ समाज की परिभाषा है. बशर्ते वो शिक्षा आजीवन इन्शान के अन्दर जिन्दा रहे.
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