चीन कि चालाकी का एक बार फिर खुलासा हो गया है. अक्साई चिन क्षेत्र में चीनी उल्लंघन अनियोजित और स्वतंत्र घटनाएं नहीं हैं, बल्कि विवादित सीमा क्षेत्र पर स्थायी नियंत्रण हासिल करने के लिए रणनीतिक रूप से नियोजित और समन्वित विस्तारवादी रणनीति का हिस्सा हैं। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा भारत में चीनी सीमा घुसपैठ पर किए गए एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है।
‘हिमालय में बढ़ते तनाव: भारतीय सीमा पर चीनी घुसपैठ का भू-स्थानिक विश्लेषण’ विषय पर नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, नीदरलैंड्स के डेल्फ्ट के तकनीकी विश्वविद्यालय और नीदरलैंड्स डिफेंस एकेडमी के विशेषज्ञों ने अध्ययन किया। अध्ययन के लिए पिछले 15 वर्षों के दौरान हुए घटनाक्रम के मूल डाटासेट का उपयोग करते हुए उन्होंने चीनी घुसपैठ का भू-स्थानिक विश्लेषण प्रस्तुत किया।
नॉर्थवेस्टर्न की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि लेखकों ने 2006 से 2020 तक भारत में चीनी घुसपैठ के बारे में जानकारी संकलित करते हुए एक नया डाटासेट इकट्ठा किया और डाटा का विश्लेषण करने के लिए गेम थ्योरी (प्रतिस्पर्धी स्थितियों से निपटने के लिए रणनीतियों का विश्लेषण) और सांख्यिकीय तरीकों का इस्तेमाल किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि संघर्षों को दो अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है- पश्चिम / मध्य (अक्साई चिन क्षेत्र) और पूर्व (अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र)। अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की पश्चिम और मध्य सीमाओं पर चीनी घुसपैठ अनियोजित और स्वतंत्र घटनाएं नहीं हैं, जो गलती से होती हैं। जबकि शोधकर्ताओं ने पाया कि घुसपैठ की संख्या आम तौर पर समय के साथ बढ़ रही हैं, उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि पूर्व और मध्य क्षेत्रों में संघर्ष एक समन्वित विस्तारवादी रणनीति का हिस्सा है। यानि चीन जानबूझकर अपने क्षेत्र का विस्तार करना चाहता है.
भारत-चीन सीमा विवाद में 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) शामिल है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत के हिस्से के रूप में दावा करता है जबकि भारत इसका विरोध करता है। अक्साई चिन लद्दाख में एक विशाल क्षेत्र है जो वर्तमान में चीनी कब्जे में है। 2019 में जारी भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, चीनी सेना ने 2016 और 2018 के बीच 1,025 बार भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की। तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने नवंबर 2019 में लोकसभा में बताया था कि 2016 में चीनी सेना ने 273 बार भारतीय सीमा में घुसपैठ की थी, जो 2017 में बढ़कर 426 हो गई। 2018 में ऐसे मामलों की संख्या 326 थीं।
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