Special Report || क्या स्वार्थ, लालच, अत्याचार और घमंड के रहते कभी बुराई पर अच्छाई की जीत हो सकती है? यूपी के गाजीपुर से हमारे संवादाता हसीन अंसारी ने बताया कि गाजीपुर जिला अस्पताल में लापरवाही से एक मरीज की मौत हो गई. ये आरोप मरीज के परिजनों ने लगाया. दरअसल, परिजनों का आरोप है कि इंजेक्शन लगाने पर महिला की मौत हुई है।बताया जा रहा है कि ग़ाज़ीपुर के करण्डा क्षेत्र के लीलापुर गांव की सावित्री नामक महिला को इलाज के लिए जिला अस्पताल के महिला वार्ड में भर्ती कराया गया था।परिजनों का आरोप है कि महिला को इकट्ठे 4 इंजेक्शन लगाए गए। जिसके बाद महिला की मौत हो गयी।
अभी गाजीपुर की जिलाधिकारी ने जिला अस्पताल में औचक निरिक्षण किया तो काफी खामिया मिली थी और उनके जाते ही मरीज की मौत हो गई. खैर परिजनों के आरोप पर अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच का निर्देश दिया है।
अब इस जाँच में क्या होगा ये तो नहीं पता लेकिन मृतक के आँखों में अन्याय का दर्द जरुर झलक रहा था.
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न्याय और अन्याय के बीच लड़ाई तो पुलिस और राम भक्तों में भी चल रही है. राम भक्त यानि राम लीला करवाने वाले और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्त्ता भी तो राम भक्त हैं. चट्टी चौराहे पर ये चर्चा गर्म है कि आखिर पुलिस ने सत्ता धरी पार्टी के नेता से ही पंगा क्यों ले लिया. या तो ये पुलिस कि इमानदारी है या कहानी थोड़ी लम्बी है.
दरअसल, गाजीपुर के जमानिया नगर पालिका परिषद के मनोनीत भाजपा सभासद जयप्रकाश गुप्ता को पिछले दिनों पुलिस द्वारा गोकशी संरक्षण का आरोप लगाते हुए जेल भेज दिया गया. जिसको लेकर भाजपा नेता मुखर हो गए है। मंगलवार को नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने डीएम से मुलाकात कर पुलिस की संदिग्ध भूमिका बतलाते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की। साथ ही कहा कि सभासद के विरुद्ध लगाए गए आरोप संबंधित साक्ष्य एसपी से मांगे गए थे जो अभी तक उपलब्ध नहीं कराया गया। इस पर जिलाधिकारी ने कार्रवाई आश्वासन दिया। वहीं प्रतिनिधिमंडल ने जिला कारागार में सभासद से मुलाकात कर पुलिसिया उत्पीड़न के खिलाफ सहयोग करने का भरोसा जताया।
पहले जय प्रकाश गुप्ता को समझने की कोशिश कीजिये. जय प्रकाश गुप्ता सभासद होने के साथ साथ जमानियां राम लीला कमेटी के अध्यक्ष भी थे. सोशल मीडिया के माध्यम से गौ तस्करी, पुलिस के द्वारा अवैध धन उगाही को भी बतलाते रहते थे. वहीँ दूसरी तरफ राम लीला कमेटी की जमीन और जमनिया कोतवाली की जमीन में विवाद है. मामला कोर्ट में है. लेकिन वर्दी के बल पर दो अक्टूबर को तहसील मुख्यालय पर स्थित रामलीला समिति के विवादित भूमि को कब्जा करने की नियत से खुदाई शुरू कर दी गई। शिकायत पर गड्ढे को एसडीएम ने पटवा दिया गया था.
लेकिन हद है न. भगवान् श्री राम में आस्था रखने वाले वहां राम लीला करते हैं और वहीँ गद्दा किया जाने लगा. भैया फिर कैसे होगी बुराई पर अच्छाई की जीत. खैर असली कहानी तो अब शुरू होती है.
सभासद को जेल भेजे जाने के बाद जमानिया में पुरानी रामलीला समिति ट्रस्ट के धर्मशाला के ताले को तोड़वाकर उसमें रखे साथ सज्जा का सामान निकलवाकर नई समिति गठन करा कर उसी के नेतृत्व में हरि कीर्तन कराया और दूसरे दिन विरोधी खेमे को पक्ष में लेकर रामलीला का मंचन भी कराया गया। जबकि दूसरा खेमा भी भाजपाई है. यहीं नहीं ये भी कहा जा रहा है कि जमनिया कोतवाल वंदना सिंह, भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल के विधायक नील रतन सिंह पटेल की पत्नी हैं। जिसके प्रभाव में जमानिया के मूल भाजपा कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न हो रहा है। जबकि इनका स्थानांतरण आजमगढ़ हो चुका है। लेकिन उन्हें रिलीज नहीं किया गया।
ओह ! अब ये सब बातें मैं नहीं कह रहा हूँ. अरे भैया कोई भी खबर बिना तथ्यों के नहीं होती. ये सारी बातें भाजपा कार्यालय पर आयोजित पत्रकार वार्ता में भाजपा के पूर्व प्रदेश मंत्री रामतेज पांडेय ने बताया और कुछ के तो विडियो भी हैं. उन्होंने कहा कि नगर पालिका परिषद के मनोनीत भाजपा सभासद और पूर्व मंडल अध्यक्ष जयप्रकाश गुप्ता लगातार स्थानीय मुद्दों के साथ, गोकशी, गोतस्करी, भ्रष्टाचार और दलाली के खिलाफ लड़ते हैं। आरोप लगाया कि कोतवाल वंदना सिंह, सीओ जमानिया विजय आनंद शाही और एसडीएम भरत भार्गव द्वारा फर्जी ढंग से गोकशी के मुकदमे में उन्हें फंसाकर बीते 30 अक्टूबर को जेल भेज दिया। इस कार्रवाई का अंदेशा जयप्रकाश गुप्ता को पूर्व में भी था और इसकी शिकायत उन्होंने एसपी को कई पत्र भेजकर भी किया था।
उन्होंने चेताया कि अगर जिला प्रशासन द्वारा न्याय नहीं मिला तो सभासद को न्याय दिलाने के लिए सभी लोग प्रदेश अध्यक्ष के साथ मुख्यमंत्री को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया जाएगा। इस मौके पर जमानिया नगर मंडल अध्यक्ष अनिल कुमार गुप्ता, पूर्व जिलाध्यक्ष विजेंद्र राय, भाजपा नेता बालकृष्ण त्रिवेदी आदि मौजूद रहे।
लेकिन सवाल ये ही है कि कौन अच्छा और कौन बुरा? क्या बुराई पर अच्छाई कि जीत होगी. खैर पिछले दिनों जय प्रकाश गुप्ता की गिरफ़्तारी पर उनकी पत्नी सहित कुछ महिलाओं ने धरना दिया था, नतीजा पुलिस ने बुलडोजर चलाने की चेतावनी भी दे डाला.
शायद अब बुल्ड़ोजर न्याय का नहीं ताकत के डर का सिम्बल हो गया है.
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