गाजीपुर | लगी थी प्यास लेकिन पानी में ज़हर था, पीते तो भी मर जाते ना पीते तो भी मर जाते. ये रिपोर्ट इस कथन को सत्य कर रही है. शारदीय नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। नवरात्र महापर्व के अष्टमी और नवमी तिथि के दिन 9 कन्याओं का विशेष पूजन किया जाता है और उन्हें हलवा-पूड़ी या खीर-पूड़ी का भोग लगाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन ऐसा करने से मां भगवती प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। लेकिन आज एक कन्या ऐसी है जो अपने जिन्दगी कि जंग लड़ रही है. जिसे माँ के भक्तों की जरुरत है.
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इस रिपोर्ट को पढने के बाद यदि मदद के लिए आपके हाथ आगे बढ़ जायेंगें तो इस मासूम कि टूटती सांसें फिर से उसका साथ देने लगेंगी. वो महज 11 साल की है और जिन्दगी कि जंग लड़ रही है.
जी हाँ हम बात कर रहे हैं गाजीपुर नगर क्षेत्र के अष्ठभुजी कॉलोनी के रहने वाले पत्रकार शशिकांत सिंह की 11 वर्षीय पुत्री अनन्या सिंह की. वो पिछले पांच वर्षों से ब्लड कैंसर जैसी घातक बीमारी से लड़ते हुए जिन्दगी और मौत से जूझ रही है. शासन और लोगों कि मदद से पिता पिछले पञ्च वर्षों से अपनी जिन्दगी बचने में लगा है लेकिन अब बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए अधिक पैसों की आवयश्कता आन पड़ी है. इसीलिए अब बेबस पिता को आपके मदद की जरुरत है.
समाज के समस्याओं को निःस्वार्थ भावना से उठाने वाले शशिकांत सिंह तो पत्रकारिता का धर्म निभाते रहे, उन्होंने कभी आर्थिक लाभ की नहीं सोची. लेकिन आज वो जिन्दगी के जिस कठिन परीक्षा को झेल रहे हैं वो बिना आर्थिक मदद के पूरी नहीं हो सकती है. बेटी को ब्लड कैंसर कि जानकारी होते ही पिता की आँखें छलक उठी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. बेटी कि जिन्दगी बचाने के लिए उन्होंने दोस्तों, समाजसेवियों और शासन से मदद मांगी. अछि सोच रखने वालों ने उनकी मदद की. लिहाजा शशिकांत डॉक्टर्स कि राय पर अपनी बेटी का इलाज करवाने के लिए लखनऊ पीजीआई पहुंचे.
लेकिन परीक्षा यहीं ख़त्म होने वाली नहीं थी पीजीआई के डॉक्टर्स ने बताया कि कैंसर इलाज में ब़ोन मेरो ट्रांसप्लांट करना पड़ेगा . इसके लिए 15 लाख का खर्च आएगा. ये सुनते ही पिता कि आँखें छलक पड़ी, वो सोच में पद गए कि 15 लाख का इन्तेजाम कहाँ से होगा. आँखों के सामने मासूम बिटिया का चेहरा सामने आने लगा. घर वालों का रो रो कर बुरा हाल हो गया. बिटिया को खोने के डर ने पिता शशिकांत को बेचैन करने लगा. मन अजीब अजीब ख्याल आने लगे.
लेकिन शशिकांत सिंह ने हार नहीं मानी. अब केवल पिता ही नहीं बेटी अनन्या भी आम जनमानस से जीवनदान मांग रही है. आपकी छोटी छोटी मदद देवी माँ की इस मासूम कन्या को जीवनदान दे सकती है.
मंदिर में दान दें लेकिन उसका आधा हिस्सा अनन्या को दें, पूजा पंडालों में लाखों का चंदा आता है, वो माँ के प्रति अपनी सच्ची भक्ति दिखाएं और दान का मात्र 20 फिसद अम्बे माँ की इस मासूम कन्या का जीवन बचने के लिए इन्हें जरुर दें. सभी अधिकारी, सरकारी कर्मचारी, पुलिस कर्मी, व्यापारी अपने महीने की कमाई का मात्र 10 प्रतिशत अनन्या के जीवन को बचने के लिए दान करें. यदि आपने इतना मदद कर दिया तो अनन्या का जीवन बच जायेगा.
केवल गाजीपुर के निवासी, अधिकारी, कर्मचारी, पुलिसकर्मी या व्यापारी मदद कर दें तो अनन्या के इलाज का खर्च पूरा हो सकता है. अब देखने वाली बात है कि क्या आज भी मानवता जिन्दा है? अगर अनन्या का इलाज सफल हो गया तो ये समझ आ जायेगा की मानवता आज भी जिन्दा है.
अनन्या को सहयोग करने के लिए उनके पिता शशिकांत सिंह से 9454569191 पर संपर्क करें, उन्हें फ़ोन पे करें या पेटिएम करें. बस उनका सहयोग जरुर करें. यहाँ उनके बैंक अकाउंट कि भी पूरी जानकारी है:-

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