गाज़ीपुर। क्या आप मंदिर में जाते हैं पूजा करते हैं उम्मीद है नवरात्र में तो जरूर जाते होंगे और मां के दर्शन और पूजन जरूर करते होंगे। दर्शन पूजन करने से पहले अपने आप को साफ सुथरा भी रखते होंगे। लेकिन जरा सोचिए कि आपको मां के दर्शन करने के लिए नाली के गंदे पानी में से होकर जाना पड़े और वह गंदा पानी माता के मंदिर में भी चाहे तो क्या पूजन अर्चन करेंगे या आपका मन क्या कहेगा?
गाज़ीपुर के आवास विकास कालोनी में शीतला माता का मंदिर है इस कॉलोनी में जल निकासी की समस्या है और सड़क की हालत दयनीय है कारण यह की नाली का गंदा पानी सड़कों पर आ गया है और वह मंदिर में घुस चुका है और उसी नाली के पानी में से होते हुए श्रद्धालु माता का पूजन अर्चन करने जाते हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोग तकलीफों को सहते रहते हैं आवाज उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते चाहे भले ही उनकी आस्था उनकी श्रद्धा पर दाव क्यों न लग जाए।
हिंदू धर्म की रक्षा करने वाली सरकार को एक नजर इधर भी घूम आनी चाहिए की देखिए यहां हिंदू कैसे खतरे में है? कैसे अपने ही माता की पूजा करने के लिए उसे अपमानित होना पड़ता है और अपनी देवी मां को वह एक साफ-सुथरी जगह भी नहीं दे पाता।
दरअसल यहां की स्थिति ऐसे ही उत्पन्न नहीं हुई शीतला माता मंदिर से एक सड़क जल निगम रोड होते हुए मुख्य मार्ग की ओर जाती है जहां कुछ लोगों की दबंगई के वजह से नालियों को जाम कर दिया गया है और वह कोई और लोग नहीं वह भी हिंदू ही हैं। वहीं दूसरी सड़क आवास विकास कॉलोनी के पानी टंकी होते हुए गाजीपुर मऊ मुख्य मार्ग से मिलती है लेकिन जानकारी के अनुसार उस सड़क का कुछ हिस्सा और वहां की अधिकतर जमीनें गाजीपुर के भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष गुलाम कादिर राइनी और उनके परिवार की है। वह वहां पर सड़क और नाली का निर्माण नहीं होने देते। किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता कि मां शीतला का मंदिर नाली के गंदे पानी में डूबा हुआ है और इसी गंदे पानी से घिरा हुआ है आवास विकास कॉलोनी।
जमीन के लिए परिवार में झगड़ा, हत्या, मुकदमा ऐसी तमाम चीजें आपने सुनी होंगी लेकिन क्या आपने ये कभी सुना है कि जमीन के लिए एक या दो नही सैंकड़ों परिवारों की जिंदगी नरक बना दिया जाए। उनको ऐसा ज़हर दिया गया है कि जिससे वो एक बार में नही, तड़प तड़प कर मरेंगे।
जी हां ये पूरा मामला गाज़ीपुर के रौज़ा स्थित आवास विकास कालोनी का है। दरअसल ये कॉलोनी राज्य सरकार द्वारा विकसित की गई है, जबसे ये कॉलोनी विकसित हुई तबसे यहां रहने वालों के जिंदगी की तबाही की उलटी गिनती शुरू हो गई।
कॉलोनी में लोगों को घर देते समय आवास विकास परिषद ने कई वादें किए, जिनमे, नाली, सड़क, पार्क शामिल है।
लेकिन ये वादें चुनावी वादों की तरफ लॉलीपॉप बनकर रह गए। इस कॉलोनी में आने का कोई रास्ता नहीं बचा। जल निकासी की समस्या से पूरा इलाका पानी से घिर चुका है और गंदगी के अंबार से बीमारियों की दस्तक भी सुनाई देने लगी है।
कानूनी दांव पेंच में इस कॉलोनी को इस तरह फसाया गया जैसे बिना गलती जेल में सजा काट रहा कोई व्यक्ति हो।
इस कॉलोनी में गाज़ीपुर – मऊ मुख्य मार्ग से एक सड़क अंदर को आती है। वो पिछले 40 वर्षों से जर्जर है। दरअसल इस कॉलोनी की कुछ जमीन और इस रास्ते पर मुकदमा है। आवास विकास परिषद कहता है कि मुकदमा करने वाला पक्ष यानी गाजीपुर के भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष गुलाम कादिर राइनी और उनका परिवार मुकदमा हार गया है और दूसरा पक्ष कहता है की आवास विकास ने ये मुकदमा जीता नही है, इस पर स्टे है।
नतीजन कॉलोनी में आने का रास्ता नहीं बन सका। आवास विकास परिषद के दावों पर इस सड़क का निर्माण कार्य शुरू हुआ। जानकारी के अनुसार 6 लाख़ का टेंडर हुआ है और सड़क को बराबर कर गिट्टी गिरा दिया गया है, कुछ दिन में सड़क निर्माण पूरा हो जाता और कॉलोनी वासियों को कुछ हद तक राहत हो जाती लेकिन मुकदमा करने वाला पक्ष आ धमका और सड़क के निर्माण को रुकवा दिया। फिर क्या था कॉलोनी वालों ने उनसे सवाल पूछा कि आखिर आपने ये काम क्यों रुकवाया है। यहां लोगों को काफी परेशानियां है। यहां बुजुर्ग, मासूम बच्चे और महिलाएं गिर कर घायल हो जाते हैं, कोई गाड़ी कॉलोनी में नही आ पाती, मरीज को लेने के लिए एंबुलेंस भी नही आती। इमरजेंसी में यहां के लोग बेबस हो जाते हैं। लेकिन दूसरे पक्ष का यही कहना था कि हम कुछ नहीं जानते ये हमारी जमीन है, हम सड़क नही बनाने देंगें।
अब थोड़ी कहानी दूसरे पक्ष की सुन लीजिए। लोगों का कहना है कि कॉलोनी का ये पूरा क्षेत्र इनके पूर्वजों का था, उन्होंने इसे आवास विकास परिषद को बेच दिया, लेकिन बाद में इनके परिवार द्वारा आवास विकास परिषद पर मुकदमा किया गया, तब तक कॉलोनी आधे से ज्यादा बन चुकी थी। समय बीतता गया बची हुई जमीन पर ये बस स्टैंड और कटरा बनाकर दुकानों को किराए पर देकर व्यापार करने लगें। वहीं आवास विकास परिषद ने बने हुए मकानों को बेचना शुरू कर दिया।
लेकिन 40 सालों में इस मुकदमे का असली शिकार यहां बसे लोग हो गए। इस मुकदमों की वजह से यहां सड़क और नाली का निर्माण नही हो सका।
दूसरा पक्ष स्टे होने के बावजूद वहां व्यापार कर लाभ कमा रहा है और व्यापार के लिए इस सड़क का इस्तेमाल भी कर रहा है, लेकिन इन सैंकड़ों लोगों को देख उसका दिल नही पिघल रहा। 200 मीटर के रास्ते को बनाने नही दे रहा। जब को वो समाजसेवी है देश बड़े राजनीतिक पार्टी भाजपा से जुड़ा हुआ है। उसके पास बहुत जमीन है लेकिन वो जनहित में इस जमीन के टुकड़े को इस्तेमाल नहीं होने दे रहा। भले ही यहां के लोग तड़पते रहें। इमरजेंसी होने पर समय से अस्पताल न पहुंच पाएं। मासूम बच्चे स्कूल न जा पाएं।
आवास विकास परिषद की अनदेखी और स्वार्थ के अंधे लोगों की वजह से ये कॉलोनी अब कॉलोनी नही रह गई है, ये अब एक जेल बन चुका है जहां लोग तड़पने के लिए मजबूर हैं। यहां के लोगों के साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है और प्रशासन शांत है।
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