Special Report || 23 जुलाई, वो दिन जिस दिन उस वीर का जन्म हुआ था जिसने भारत की आज़ादी में मात्र महत्वपूर्ण भूमिका ही नहीं निभाई बल्कि अपने जीवन से एक ऐसा सन्देश दिया जो देश के प्रत्येक नागरिक को सुनना चाहिए. इस रिपोर्ट में हम चंद्रशेखर आज़ाद के कहे कथनों को याद करेंगें.
चंद्रशेखर आज़ाद का जन्म मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जनपद के भाबरा गाँव में हुआ था लेकिन उनका परिवार उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिला के रहने वाला था, झाँसी और वाराणसी उनके क्रन्तिकारी जीवन का मुख्य केंद्र रहा और प्रयागराज के कर्नलगंज थाने की अंग्रेजी पुलिस से मुठभेड़ करने के दौरान उन्होंने जब उनके बन्दुक में आखिरी गोली बची तो उन्होंने वो गोली खुद को मार ली, क्योंकि वो आज़ाद थे. आज उसी उत्तर प्रदेश की राजनीति में उठा पटक अपनी गति चल रहा है. सवाल ये है कि क्या इस उठा पटक से वास्तविकता में जनता की समस्याओं का समाधान होना है या केवल नेताओं का विकास होना है. चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा था कि “यदि कोई युवा मातृभूमि की सेवा नहीं करता है, तो उसका जीवन व्यर्थ है।” चंद्रशेखर आज़ाद ने कल्पना भी नहीं की होगी कि आजकल मातृभूमि को अपनी भूमि करने के लिए भाई, भाई की हत्या कर रहा है और युवा अपने नेताओं की तरफदारी और नेता अपने सुख सुविधाओं के लिए सम्मान से समझौता.
ख़बरों के अनुसार उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के मंत्री दिनेश खटिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के राष्ट्रिय अध्यक्ष जे पी नद्दा से मिलने के बाद भी नाराज चल रहे हैं. उन्होंने दलितों की उपेक्षा का आरोप भी लगाया था और इधर सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर दलितों की बात कर रहे हैं.
खैर हिंदुत्व की बात होते होते, ब्राह्मण, क्षत्रिय और दलित की बात होना भी आज की राजनीति का अभिन्न अंग बन चूका है. चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा था कि मैं एक ऐसे धर्म को मानता हूं, जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है।
आज के नेता किस धर्म को मानते हैं ये तो शायद वही जानते होंगे, लेकिन भाईचारे की बातें हमेशा ही भाषणों में सुने देती है. जी हाँ सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से खूब भाई चारे की बात की. दोनों न जाने क्या क्या कहा. चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा था कि “दूसरों को खुद से आगे बढ़ते हुए मत देखो। प्रतिदिन अपने खुद के कीर्तिमान तोड़ो, क्योंकि सफलता आपकी अपने आप से एक लड़ाई है।” क्या राजभर और अखिलेश यादव आज़ाद के इन बातों से इत्तिफ़ाक रखते हैं? क्या शिवपाल यादव इस बात से इत्तिफ़ाक रखते हैं.
समाजवादी पार्टी पर राजभर के लगातार हमलों के बीच सपा ने उनकी पार्टी से गठबंधन तोड़ने का औपचारिक एलान कर दिया है। पार्टी की तरफ से शिवपाल सिंह यादव व राजभर के लिए पत्र जारी कर कहा गया है कि आप दोनों जहां सम्मान मिले वहां जाने के लिए आजाद हैं। क्षमा चाहता हूँ इस आज़ाद से चंद्रशेखर आज़ाद से कोई मतलब नहीं है. चंद्रशेखर आज़ाद ने तो कहा था कि “मातृभूमि की इस दुर्दशा को देखकर अगर आपके लहू में क्रोध नहीं है, तो ये पानी है जो आपकी रगों में बह रहा है। ऐसी जवानी का क्या मतलब अगर वो मातृभूमि के काम ना आए।”
सपा द्वारा शिवपाल सिंह यादव के लिए जारी पत्र में कहा गया है कि शिवपाल सिंह यादव जी, अगर आपको लगता है कि कहीं ज्यादा सम्मान मिलेगा तो आप वहां जाने के लिए स्वतंत्र हैं। वहीं, राजभर के लिए जारी किए गए पत्र में संदेश दिया गया है कि ओमप्रकाश राजभर जी, सपा लगातार भाजपा के खिलाफ लड़ रही है। आपका भाजपा के साथ गठजोड़ है और आप लगातार भाजपा को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं। अगर आपको लगता है कि कहीं ज्यादा सम्मान मिलेगा तो आप वहां जाने के लिए स्वतंत्र हैं। पत्र जारी होने के बाद माना जा रहा है कि सपा ने राजभर की पार्टी सुभासपा से गठबंधन तोड़ने का औपचारिक एलान कर दिया है।
ओम प्रकाश राजभर का 2017 में भाजपा से गठबंधन था, सरकार बनने के बाद वो मंत्री भी बने लेकिन फिर नाराज हो गये, भाजपा पर निशाना साधना शुरू कर दिया. खूब तीखी तीखी बयानबाजियां भी की. और 2022 में सपा से गठबंधन कर मैदान में उतर गये. चुनावी सभाओं में तो उन्होंने सीएम योगी को मठ में भेजने तक की बात कर दिया था. लेकिन सूबे में जनता ने फिर से भाजपा को अपना प्यार दे दिया और योगी आदित्यनाथ दुबारा मुख्यमंत्री बन गये. अब क्या था धीरे धीरे ओम प्रकाश राजभर के सुर बदलने लगे. विधानसभा चुनाव में सपा और सुभासपा के गठबंधन गाजीपुर और आजमगढ़ में भाजपा के पसीने छुड़ा दिए लेकिन वहीँ आजमगढ़ में लोकसभा के उपचुनाव में हार मिलने के बाद ओम प्रकाश राजभर ने बगावती तेवर दिखाना शुरू कर दिया. उन्होंने क्या क्या कहा हमने आपको पहले भी बताया है. खैर राजभर की अपने पुराने दोस्त भाजपा से दोस्ती नज़र आनी शुरू हो चुकी है. Y+ श्रेणी की सुरक्षा मिल चुकी है और ख़बरों में मंत्री बनने तक के कयास लगाये जा रहे हैं.
सपा के द्वारा पत्र जरी करने के कुछ ही देर बाद ओपी राजभर ने प्रेसवार्ता कर अखिलेश यादव पर जमकर निशाना साधा। अपने लहजे के लिए चर्चित राजभर ने हंस-हंसकर अखिलेश पर वार किए। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं किसी का गुलाम नहीं। बस दिक्कत ये है कि अखिलेश यादव को वही लोग पसंद हैं जो उनकी हां में हां मिलाएं। राजभर ने कहा कि मैं अखिलेश यादव के तलाक को कबूल करता हूं।
चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा था कि “मातृभूमि की इस दुर्दशा को देखकर अगर आपके लहू में क्रोध नहीं है, तो ये पानी है जो आपकी रगों में बह रहा है। ऐसी जवानी का क्या मतलब अगर वो मातृभूमि के काम ना आए।” जय हिन्द
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