लखनऊ | राजनीति में रोज नया अपडेट आता रहता है. आप रोज चाय पीना भले ही भूल जायें, लेकिन राजनीति की कड़क खबर आपको चाय पीने पर मजबूर कर देती है. अब ख़बरों के लिए ज्यादा मेहनत की जरुरत नहीं पड़ती, राजनितिक पार्टियाँ कुछ न कुछ नया मसाला लेकर तैयार रहती हैं. लोकसभा उपचुनाव में सपा की हार और भाजपा द्वारा महाराष्ट्र में भी तख्ता पलट. अभी इन ख़बरों पर चर्चाएं चली रही थी की. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सपा की सभी इकाइयों को भंग कर दिया. केवल उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष को छोड़ दिया है. अब अखिलेश यादव के इस निर्णय लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गईं हैं.
दरअसल इसकी जानकारी समाजवादी पार्टी के टि्वटर हैंडल से दी गई है. उसमें लिखा गया है कि, ‘समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तत्काल प्रभाव से सपा उ.प्र. के अध्यक्ष को छोड़कर पार्टी के सभी युवा संगठनों, महिला सभा एवं अन्य सभी प्रकोष्ठों के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष सहित राष्ट्रीय, राज्य, जिला कार्यकारिणी को भंग कर दिया है.’
अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल को छोड़ दिया है. ख़बरों के अनुसार पार्टी ने इसका कोई कारण स्पष्ट नहीं किया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि पिछले विधानसभा चुनाव में शिकस्त के बाद हाल में सपा को अपना मजबूत गढ़ माने जाने वाले रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में भी पराजय मिलने के मद्देनजर वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले संगठन को मजबूत करने के लिए यह कवायद की गई है.
साल 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को भाजपा के सामने हार देखने पड़ी थी. भारतीय जनता पार्टी ने 255 सीटें जीती थी, जबकि सपा के हिस्से में 111 सीटें आई. समाजवादी पार्टी ने आरएलडी समेत कई छोटे दलों से गठबंधन भी किया था, लेकिन अखिलेश यादव की यह रणनीति भी काम नहीं आई. आरएलडी ने 8 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं, सपा के दूसरी सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने 6 सीटें जीती थी. कांग्रेस ने 2 और बसपा ने केवल 1 सीट जीती थी.
इसके बाद हुए एमएलसी चुनाव में भी उत्तर प्रदेश में भगवा छा गया. इस चुनाव में भी बीजेपी को जबरदस्त जीत हासिल हुई है. वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी का खाता भी नहीं खुल पाया. बता दें कि उत्तर प्रदेश में एमएलसी की कुल 36 सीटों पर मतदान होना था. इनमें से 9 सीटों पर भाजपा ने पहले ही जीत हासिल कर ली थी. भाजपा के 9 प्रत्याशी इस चुनाव में निर्विरोध जीत हासिल कर चुके थे. बाकी 27 सीटों के लिए 9 अप्रैल को मतदान हुआ. मतगणना के बाद जब परिणाम सामने आए तो अधिकतर सीटें बीजेपी के खाते में गईं.
अब अखिलेश यादव की ये रणनीति सपा के कितने काम आएगी ये देखने वाली बात होगी.