The Kashmir Files फिल्म के जरिये कश्मीरी पंडितों के दर्द को दिखाने की भरपूर कोशिश हुई. कोशिश इतनी कारगर हुई की सोशल मीडिया से लेकर टीवी वाले मीडिया तक ऐसा प्रतीत होने लगा कि बस एक समुदाय के प्रति गुस्सा फूट कर हिंसा में बदलने ही वाला है. लेकिन क्या वाकई उसमे एकतरफा दर्द था या सम्पूर्ण? क्या वाकई कश्मीरी पंडितों या घटी में रहने वालों का दर्द अब ख़त्म हो रहा है?
मनोज सिन्हा जब गाजीपुर के सांसद थे तो उनके सामने बड़ी चुनौतिया थी कि कैसे एक पिछड़े जिले का विकास किया जाये? कैसे केन्द्रीय मंत्री रहते हुए अपने गृह जनपद को ट्रेन के माध्यम से हर महत्वपूर्ण क्षेत्रों से जोड़ा जाए? आज मनोज सिन्हा जम्मू व कश्मीर के उप राज्यपाल हैं. आज उनके सामने विकास से ज्यादा कश्मीरियों के सुरक्षा की चुनौती है.
इधर मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कश्मीर घाटी में तीन हफ्तों से प्रदर्शन कर रहे कश्मीरी पंडितों ने बीते दिन कहा है कि यदि 24 घंटे में उन सभी का तबादला जम्मू नहीं किया गया तो वे घाटी से पलायन करेंगे. बीते दिनों कुलगाम में अनुसूचित जाति की रजनी बल्ला की हत्या के बाद कश्मीरी पंडितों की बेचैनी और बढ़ गई है.
जम्मू के सांबा ज़िले की रहने वाली रजनी कुलगाम के हाई स्कूल में पढ़ाती थीं. गोपालपुरा के हाईस्कूल में आतंकवादियों ने उनकी हत्या कर दी. इस महीने यह सातवीं घटना है जब आतंकवादियों ने टारगेट अटैक किया है. इनमें बडगाम की 35 साल की ऐंकर अमरीना भट्ट भी शामिल हैं.आतंकवादियों ने जम्मू कश्मीर के सिपाही सैफुल्ला क़ादिर की भी उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी. कश्मीर के सभी दलों ने रजनी बल्ला की हत्या की निंदा की है लेकिन बात वहीं पर आकर रुक जाती है कि निंदा ही हो रही है, आतंकवादियों का हौसला रुक नहीं रहा है. घाटी में अलग-अलग सरकारी विभागों में काम करने वाले कश्मीरी पंडितों का कहना है कि वे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उन्हें पुनर्वास के नाम पर बलि का बकरा बनाया जा रहा है. जब तक घाटी में हालात सामान्य नहीं होते, तब तक उन्हें जम्मू भेज दिया जाए नहीं तो वे पलायन करेंगे. कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की हत्या के बाद से प्रदर्शन जारी है. राहुल की हत्या के 12 दिनों बाद जब लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने प्रदर्शनकारियों से बात की तब उनका बयान ग़ौर करने लायक है.
सबसे बड़ा सवाल ये है कि कश्मीर में अचानक टारगेट किल्लिंग कैसे शुरू हो गई? ख़बरों के अनुसार शुक्रवार की रात कश्मीरी पंडित कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले 25 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने श्रीनगर के राजभवन में जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) मनोज सिन्हा और शीर्ष सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की। कश्मीरी पंडितों के एक प्रवक्ता ने कहा कि बैठक के दौरान, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हमें आश्वासन दिया कि हमारी सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। हमने उपराज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा। लेकिन हमारी मुख्य मांग सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने की है। जब तक मांग पूरी नहीं होगी, तब तक धरना जारी रहेगा।
अब सबकी निगाहें उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के ऊपर टिकी हुई है.