Apna Uttar Pradesh

वाकई ! प्रशासनिक एक्शन से लुट गया जनता का तन मन धन और राशन?

उत्तर प्रदेश में राशन कार्ड को लेकर कई तरह की अफवाह उड़ रही थी. राशन कार्ड के पात्र अपात्रों को लेकर नै बहस शुरू हो चुकी थी, कई जगहों पर राशन कार्ड को सरेंडर करने का एलान भी कर दिया गया था. पात्रता की सरकारी शर्तों पर खरा न उतरने पर मुफ्त का राशन पाने वालों से वसूली किए जाने के फरमान का ऐसा डर फैला है कि लोग राशन कार्ड सरेंडर करने की होड़ मची है. मीडिया(NDTV) प्लेटफार्म पर प्रकाशित खबर के अनुसार गाजियाबाद में महज 15 दिन के भीतर ही 6500 लोगों ने जमा करा दिए हैं. 9 मई को जिला पूर्ति अधिकारी के आदेश में 24 रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं और 32 की दर से चावल की वसूली करने को कहा गया था, इसी के चलते लोगों में राशन कार्ड वापस करने की होड़ मच गई. बीते सोमवार को जिला पूर्ति कार्यालय पर 250 लोग राशन कार्ड जमा करने पहुंचे. 

शासन ने अब स्पष्ट किया है कि सरकार ने राशन कार्ड सरेंडर कराने और अपात्रों से राशन के बदले वसूली करने का कोई आदेश नहीं दिया है। ऐसे में सवाल यह उठने लगा है कि किसके आदेश पर कई जिलों में डुगडुगी पिटवाकर एलान किया गया था कि राशन कार्ड सरेंडर नहीं करने वाले अपात्रों से वसूली की जाएगी।

दरअसल, अपात्रों से राशन कार्ड सरेंडर कराए जाने और न कराने पर वसूली की चेतावनी की गूंज इन दिनों प्रदेश भर में है। हालांकि राज्य सरकार ने रविवार को इस बाबत स्पष्टीकरण जारी किया है। खाद्य एवं रसद आयुक्त सौरभ बाबू ने कहा कि राशन कार्ड सरेंडर करने का कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। राशन कार्ड सत्यापन एक सामान्य प्रक्रिया है और न तो कार्ड निरस्तीकरण और न ही रिकवरी के लिए कोई आदेश जारी हुआ है।

दूसरी ओर मीडिया (Amar Ujala) प्लेटफार्म पर प्रकाशित खबर के अनुसार कई जिलों में राशन कार्ड सरेंडर करने की तारीख भी मुकर्रर की गई थी और कहा गया था, इस तिथि के बाद वसूली की कार्रवाई होगी। इतना नहीं अधिकारियों ने बयान जारी किए कि शासन के निर्देश पर यह किया जा रहा है। इसके बाद तो प्रदेश भर में कार्ड सरेंडर करने की होड़ लग गई। अप्रैल में 43 हजार लोगों ने कार्ड सरेंडर किए। मई में भी यही आलम रहा।

अब गाजीपुर 20 मई को गाजीपुर प्रशासन की तरफ से एक विज्ञप्ति आई. उसको समझिये…

उसमे कहा गया है कि आयुक्त, खाद्य तथा रसद विभाग, उ0प्र0 लखनऊ के पत्र दिनांक 05 अप्रैल, 2022 द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के निर्धारित प्राविधानों के अन्तर्गत छूटे हुए पात्र लाभार्थियों को उनकी पात्रता के अनुसार सम्मिलित किये जाने तथा अपात्र कार्डधारकों को सूची से हटाने का निर्देश दिया गया है।

इसमें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के आधार पर ही बात की गई है लेकिन आखिर में लिखा है कि जिलाधिकारी गाजीपुर द्वारा समस्त ग्रामसचिव को निर्देशित किया गया कि प्रत्येक सचिव अपने दो-दो ग्रांम पंचायतो का सत्यापन एवं अवशेष ग्राम पंचायतों का लेखपाल सत्यापन करके 10 दिन के अन्दर आख्या जिला पूर्ति अधिकारी गाजीपुर के कार्यालय में अपने उच्चाधिकारियों की संस्तुति एवं प्रमाण पत्र के साथ प्रेषित करें, इसकी समीक्षा पुनः 10 दिन बाद की जायेगी। जिन कर्मचारियों का कार्य संतोषजनक नही होगा उनके विरूद्ध कार्यवाही भी सम्पादित की जायेगी। साथ ही 30 मई, 2022 तक अपात्र होेते हुए लाभ ले रहे कार्डधारकों के विरूद्ध निययमानुसार विधिक कार्यवाही की जायेगी। अतएव समस्त अपात्र परिवारों को प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से अन्तिम अवसर प्रदान करते हुए पुनः चेतावनी दी जाती हैै कि वे अपना राशन कार्ड तहसील अथवा जिला पूर्ति कार्यालय में समर्पित कर दें। यदि जॉंच में पाया जाता हैै कि अपात्र परिवार द्वारा येन-केन-प्रकारेण अपना अन्त्योदय अथवा पात्र गृहस्थी राशनकार्ड जारी कराकर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 का अनुचित लाभ लिया जा रहा है तो ऐसे व्यक्तियों के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी तथा जबसेे वेे खाद्यान्न लेे रहेे हैं, का आंकलन करते हुए नियमानुसार वसूली की कार्यवाही भी की जायेेगी। उक्त के लिए सम्बन्धित परिवार स्वयं उत्तरदायी होंगे।

अब शासन द्वारा ये कहना कि सरकार ने राशन कार्ड सरेंडर कराने और अपात्रों से राशन के बदले वसूली करने का कोई आदेश नहीं दिया है और 20 मई को गाजीपुर प्रशासन द्वारा जारी विज्ञप्ति में राशन कार्ड को समर्पित करने और वसूली करने की बात की जा रही है. लेकिन इस विज्ञप्ति में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 का ही जिक्र है.

खैर यदि आम कोम्फुजे हो गये तो आसान भाषा में राशन कार्ड को समझ लीजिये कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के अनुसार कौन हैं अपात्र?

नगरीय क्षेत्र में-
1-सभी आयकर दाता
2-परिवार में चौपहिया वाहन, एसी या 5 केवीए का जनरेटर हो।
3-परिवार के किसी सदस्य के पास या सम्मिलित 100 वर्गमीटर से अधिक का स्वअर्जित प्लॉट या मकान हो।
4-परिवार के पास 80 वर्ग मीटर का व्यवसायिक स्थान हो
5-एक से अधिक शस्त्रत्त् लाईसेंस वाले परिवार

6- परिवार के सभी सदस्यों की आय 03 लाख प्रति वर्ष से ज्यादा हो.

ग्रामीण क्षेत्रों में-
1-सभी आयकर दाता
2-परिवार में चौपहिया वाहन, ट्रैक्टर, हार्वेस्टर अथवा एसी या 5 केवीए का जनरेटर हो
3-परिवार में 5 एकड़ से अधिक संचित भूमि हो
4-ऐसे परिवार जिनकी सालाना आय दो लाख रुपये से अधिक हो
5-एक से अधिक शस्त्र लाईसेंस वाले परिवार

अतिक्रमण हटाने से छलका जनता का दर्द…

बीते शनिवार को गाजीपुर के जमानिया में उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर चल रहे अतिक्रमण की कार्यवाही में जमानिया तहसील मुख्यालय पर भी दो दिन के अल्टीमेटम देने के बाद बुलडोजर चला। प्रशासन के साथ बुलडोजर को आते ही दुकानदारों में हड़कम्प मच गया और पटरी पर दुकान लगाने वाले या तो स्वयं दुकान हटा रहें थें,नही तो प्रशासन ने बुलडोजर से अतिक्रमण हटाया जा रहा था।

जमानिया में बुलडोजर के कार्यवाई से कई दुकानदारों ने नगर पालिका और प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाया और कहा कि अतिक्रमण की कार्यवायी एकतरफा हो रही जो यह उचित नही है,कार्यवाही हो तो सभी के साथ एक साथ हो। अतिक्रमण का एकतरफा कार्यवाही करने पर आरोप लगाने वालों में राजीव रत्न यादव, ईनाम राईनी, अजित गुप्ता, प्रतीक गुप्ता और सूरज चौधरी ने प्रशासन पर भेदभाव करने का आरोप लगाया।

अतिक्रमण के सम्बंध में जब उपजिलाधिकारी भारत भार्गव से पूछा गया की कार्यवाही एकतरफा हो रहा ऐसा आरोप दुकानदारों ने लगाया है तो उन्होंने की ऐसा नही है मोनिटरिंग ऊपर से हो रही है और और अतिक्रमण कि कार्यवाही तब तक चलेगी जब तक पूरी तरह से अतिक्रमण हट ना जाये.

इस दौरान क्षेत्राधिकारी हितेंद्र कृष्ण, कोतवाल वंदना सिंह के साथ एस आई और कॉन्स्टेबल के जवान भी उपस्थित रहें।

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