पत्रकारिता की असली जिम्मेदारी समाज के सच को दिखाना, सामाजिक संतुलन को बनाये रखना होता है, ख़बरों की ऐसी प्रस्तुति होनी चाहिए की समाज में आपसी भाईचारा बना रहे. लेकिन टीवी के अधिकतर चैनलों पर ख़बरों के माध्यम से नफरत का जहर फैलाया जा रहा है. चुन चुन के वही चीजें दिखाई जा रही हैं जिससे एक तबका उत्तेजित हो. टीवी पर हर तरह के दंगों को अपने हिसाब से प्रस्तुत किया गया, डिबेट शो में तरह तरह के उदाहरण दिए गये. लेकिन इस बिच समाज को एकता और शांति का सन्देश देने के लिए उत्तर प्रदेश के जनपद गाजीपुर के गहमर गाँव का उदाहरण नहीं दिया गया. क्यों? ये कोई फिल्म नहीं है जिसमे हिंसा को देखकर आप इंजॉय करो. इन ख़बरों का असर वास्तविक जीवन पर पड़ता है. लोग अपनो को खो देते हैं, घर बर्बाद हो जाते हैं.
ख़बरों के अनुसार गहमर में 2 अप्रैल को नव संवत्सर (हिन्दू नववर्ष) के मौके पर कलश यात्रा निकली गई। जैसे ही यह यात्रा गांव के दक्षिण मुहल्ले की जामा मस्जिद के सामने पहुंची, यात्रा में शामिल भगवा गमछा डाले कुछ युवकों ने मुख्य द्वार फांदकर मस्जिद में उत्पात मचाया। बाद में मस्जिद की मीनार पर वार कर भगवा झंडा लहराया और मुख्य द्वार को रंग से पोत दिया। इस गांव के मुस्लिमों के मुताबिक वह झगड़ा नहीं चाहते हैं, इसलिए उन्होंने उन युवकों से कुछ नहीं कहा।
पुलिस ने इस मामले में झंडा लहराने व धार्मिक नारे लगाने वाले नवयुवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। यह लड़का नाबालिग बताया जाता है। वह 9वीं कक्षा का छात्र है और उम्र 14 वर्ष बताई जाती है। पुलिस के अनुसार वो ही इस मामले का मुख्य आरोपी है!
गहमर भारत का सबसे बड़ा गाँव कहा जाता है, यहाँ से ज्यादातर लोग सेना में हैं. ये पूरा क्षेत्र जमानिया विधानसभा में आता है और इस विधानसभा में मुस्लिम बाहुल्य हैं करीब सवा लाख के आसपास जनसँख्या है. लेकिन फिर मुस्लिमों ने इस घटना की शिकायत नहीं की, प्रशासन ने वायरल विडियो के आधार पर स्वत: संज्ञान लिया.
क्या इस बात का प्रचार नहीं होना चाहिए? लेकिन टीवी के मैटिनी शो में इस घटना का उदहारण नहीं दिया जायेगा, TRP ख़राब हो सकती है.
उत्तर प्रदेश में कानून के किताब में गुंडे-बदमाश, दंगाइयों, माफियाओं का नाम दर्ज कर बुलडोज़र को ब्रांड बना दिया गया. अब बुलडोजर का ट्रेंड बाकी राज्यों में भी पहुंच चुका है। यूपी से चला बुलडोजर अब तक देश के पांच राज्यों में पहुंच चुका है। खरगोन में हुई हिंसा हो या जहांगीरपुरी में हुई हिंसा, हर हिंसा के बाद अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलता दिखाई देता है। सवाल ये भी उठने लगा है कि क्या बुलडोजर के सहारे ही 2024 की राह तैयार होगी?
सबसे पहले बात उत्तर प्रदेश की करें तो यहां पिछले तीन साल से अपराधियों के घरों और संपत्ति पर खूब बुलडोजर चला। एक आंकड़े के अनुसार अब तक, 20 हजार करोड़ से ज्यादा की संपत्ति पर योगी सरकार का बुलडोजर चल चुका है। इसमें 325 करोड़ रुपये की संपत्ति अकेले माफिया अतीक अहमद थी।
यूपी से चला बुलडोजर सबसे पहले पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में पहुंचा। यहां दो साल के अंदर गुंडों और भूमाफिया से 15 हजार एकड़ जमीन मुक्त कराई जा चुकी है। इसकी कीमत करीब 12 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है। शिवराज सरकार ने बुलडोजर चलाने के साथ ही 188 भूमाफिया पर रासुका लगाई, तो 498 को तड़ीपार भी किया।
हाल ही में खरगोन हिंसा के बाद 24 घंटे के अंदर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने 45 मकान-दुकानें ध्वस्त कर दीं। आरोपियों की गिरफ्तारी से पहले ही बुलडोजर चला दिए गए।
गुजरात के खंभात में रामनवमी पर हुई हिंसा के आरोपियों की संपत्तियों पर पिछले हफ्ते ही मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल ने बुलडोजर चलवा दिया। प्रशासन का कहना था कि आरोपियों ने जो अतिक्रमण किया था, उसे गिरा दिया गया है। रामनवमी पर गुजरात के हिम्मत नगर और आनंद जिले में हिंसा हुई थी, जिस पर नियंत्रण पाने के लिए पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी थी। इसमें एक की मौत भी हो गई थी।
हरियाणा के सिरसा में मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने भी योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर स्टाइल अपना लिया। खट्टर सरकार ने पिछले साल जुलाई में सिरसा में दो बड़ी अवैध कॉलोनियों पर बुलडोजर चलवा दिया था।
असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने ड्रग्स पर खुद बुलडोजर चलाया। मुख्यमंत्री ने पिछले साल नगंवा जिले में जब्त किए गए ड्रग्स पर बुल्डोजर चला दिया। तब उन्होंने कहा था, ‘उन्हें पता है कि असम के रास्ते पूरे भारत में ड्रग्स सप्लाई होती है। इस सप्लाई की लाइन को काट देना और इसके उत्पदान को बंद करना हमारा कर्तव्य है।’
योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह से अपराधियों और माफियाओं पर बुलडोजर का वार किया है, उसका काफी असर टीवी के मैटिनी शो में देखने को मिल रहा है। खबरे ये भी हैं कि अब यूपी में बड़ी संख्या में अपराधी जेल से बाहर ही नहीं निकलना चाहते हैं। यही नहीं, जिस पर भी एफआईआर दर्ज होती है वह खुद थाने पहुंचकर सरेंडर कर देता है। ये तरीका अब देश के बाकी भाजपा शासित राज्यों में भी अपनाया जाने लगा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बुलडोजर के सहारे ही भाजपा 2024 के लिए राह बनाएगी?
तो ध्यान दीजियेगा गाजीपुर में बुलडोजर गरजा जिसकी आवाज पुरे देश को सुनाई लेकिन उसी गाजीपुर में विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ता है, सातों सीटें भाजपा हार जाती है. केवल गाजीपुर ही नहीं आस पास के कई जनपदों में भाजपा का खता नहीं खुला और इसी गाजीपुर में भाजपा के एक भी विधायक नहीं हैं और मस्जिद पर भगवा झंडा लगाया जाता है लेकिन दंगा नहीं होता है. क्योंकि यहाँ लोग समझ गये कुछ अराजकतत्वों की वजह से हम अपने भाईचारा के वर्षों पुराने रिश्ते को नहीं तोड़ सकते.
सबको इसपर गंभीरता से चिंतन करना चाहिए. आप पहले घर के अन्दर के झगड़ों को ख़त्म करें और देश का विकास होने दें. सरकार पर दाग न लगायें.