ये सत्य है की राजनीति करने के लिए एक विचारधारा की जरुरत होती है, विचारधारा कैसी है ये तो राजनीति करने वालों के ऊपर निर्भर करता है. और अमूमन ये भी देखा जाता है की लगभग एक विचारधारा के लोगों घनिष्टता भी होती है. लेकिन कुछ सामाजिक विचारधाराएं भी होती हैं जिसमे हो सकता है दो लोग कुछ बातों पर एक दुसरे के विरोधी हों लेकिन सामाजिक या स्वार्थ के विषय को लेकर एक दुसरे से विचारधाराएं मिलती हों. खैर इसको इतना गंभीरता से लेने की जरुरत नहीं है यदि समाज वास्तविकता में गंभीर हो जाये तो गोरखपुर, सीतापुर, गहमर जैसी घटनाएं न घटे. अब मुद्दे पर आते हैं.
उत्तर प्रदेश की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी की आंधी चल रही है। विधानसभा चुनाव 2022 में प्रचंड बहुमत के साथ दोबारा सत्ता पर काबिज होने वाली भाजपा ने विधान परिषद के चुनाव में भी परचम लहराया है। भाजपा ने 36 में से 33 सीट पर कब्जा जमाया है। भाजपा के अलावा दो सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी जीते हैं जबकि एक सीट पर राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को जीत मिली है। जो निर्दल हैं, जानकरों का मानना है की भाजपा के कार्यकर्ताओं ने उनका समर्थन किया है.
वाराणसी से बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णना सिंह ने निर्दल प्रत्यासी के रूप में जीत हासिल की है, बृजेश सिंह को आप जानते ही होंगे. सवाल ये है कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र से भाजपा कैसे हारी? विधानसभा में भी भाजपा का यहाँ से अच्छा प्रदर्शन था. खैर वाराणसी से बीजेपी प्रत्यासी सुदामा पटेल ने पहले ही आरोप लगा दिया था की भाजपा के लोग बृजेश सिंह की पत्नी का सहयोग कर रहे हैं. बहरहाल गाजीपुर से बीजेपी के प्रत्याशी विशाल सिंह चंचल 2423 वोट पाकर विजयी हुए हैं। उनके निकटतम प्रतिद्वंदी सपा समर्थित प्रत्याशी मदन यादव को 631 वोट मिले हैं। वहीं 43 मत अवैध घोषित किया गया है। बता दें 2016 के स्थानीय निकाय एमएलसी चुनावों में विशाल सिंह चंचल निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरे थे। जीत हासिल करने के बाद कुछ साल बाद उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था। अब यहीं छुपा है विशाल सिंह चंचल और मुख़्तार अंसारी परिवार के संबंधों का राज. अब मुख़्तार अंसारी को भी आप जानते ही होंगे.
विशाल सिंह चंचल को लेकर काफी चर्चाएं हुईं कहा गया कि 2016 में विशाल सिंह, अंसारी परिवार के सहयोग से MLC बने थे, खैर विशाल सिंह के चाचा राजदेव सिंह भी गाजीपुर से MLC रह चुके हैं. इधर पूर्व सांसद राधे मोहन सिंह ने भी आरोप लगाया था कि अंसारी परिवार ने सपना सिंह के चुनाव में काफी मदद की है. सपना सिंह, विशाल सिंह चंचल की रिश्तेदार हैं.
अब इन सभी सवालों के साथ हमारी टीम पहुंची Mukhtar Ansari के बड़े भाई और गाजीपुर से बसपा सांसद अफजाल अंसारी के पास. सुनिए अफजाल अंसारी ने क्या कहा:
इन बातों से ये तो स्पष्ट हो गया कि विचारधाराएं अलग हो सकती हैं लेकिन राजनीति में सामाजिक सम्बन्ध का प्रयोग किया जा सकता है. राजनीति में अलग अलग दल के नेताओं का आपसी सम्बन्ध हो सकता है. एक जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी जनता की समस्याओं का समाधान करना होता है, चाहे वो किसी दल में हों. पहले के बहुत सरे ऐसे नेता हैं जो केवल जतना के उद्धार के लियें सत्ता में आते थे और सत्ता में आने के लिए अलग विचारधाराओं वाले दलों का सहारा भी लेते थे. उम्मीद हैं कि आजके जनप्रतिनिधि भी जनता के समस्याओं को ही प्राथमिकता देंगे, उम्मीद है की आज के जनप्रतिनिधि अपने निजी स्वार्थ के लिए समाज में ज़हर नहीं घोलेंगें.
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