भारतीय संस्कृति से गुलजार और मन को शांति देने वाले वातावरण में कौन नहीं रहना चाहता. एक ऐसा शहर जहाँ हजारों लोग भारतीय संस्कृती की परिभाषा को समझने और महसूस करने आते है लेकिन भला शांति भी कब तक शांत रह सकती है. 21 मार्च की रात भारत के संस्कृति के दम घुटने की दास्तान ने के शहर को बड़ा झटका दिया था. इस घटना ने जिस्म की हवानियत की पराकाष्ठा को पार कर दिया था. इस कहानी को सुनकर पुलिस अधिकारी भी दंग रह गए थे.
ये कहानी दीपा की है, 12 साल पहले…….
दीपा का घर सजा हुआ था, मधुर संगीत से वातावरण में शादी का माहौल घुल सा गया था, नाते रिश्तेदार हसी ठिठौली कर रहे थे, सहेलियां दीपा को छेड़ रही थी, दीपा शरमाते हुए अपने कमरे में चली जाती है. भला वो शर्माती भी क्यों न, दीपा का होने वाला पति जीतेन्द्र दीपा से महज 2 साल बड़ा था. जीतेन्द्र की फल की दूकान है अच्छा कमाता है. रिश्तेदार कह रहे हैं की जीतेन्द्र दीपा को बहुत खुश रखेगा.
पूरा आँगन शहनाई से गूंज उठता है अब दीपा जीतेन्द्र के साथ सात जन्मों के बंधन में बंधने जा रही है. घर की लाडली बिटिया को जीतेन्द्र के साथ विदाई हो जाती है.
23 मार्च 2022………
दीपा महज 28 साल की है वो पुलिस के सामने फूट फूट कर रोने लगती है, दीपा कहती हा कि जीतेन्द्र की दुकान से अच्छी कमाई होती थी. शादी के बाद सबकुछ ठीक था. हमदोनों में अच्छे संबंध थे. जैसे हर पति-पत्नी में होते हैं. जितेंद्र कई बार शराब पीकर घर आते थे. शुरू में ऐसा नहीं लगा कि ये लत बढ़ती जाएगी. लेकिन मैं गलत सोचती थी. शराब की लत धीरे-धीरे बढ़ती गई. मेरी दो बेटियां भी हैं. लेकिन जीतेन्द्र के लिए मैं बस जिस्म थी……..
दीपा आँखों में आँसू भरे, भारी आवाज से बताती है कि अब लत बढ़ने के साथ उसका असर हमारे जिस्म और मन दोनों पर पड़ने लगा था. कभी वो पति की तरह नहीं बल्कि किसी रेपिस्ट की तरह हमारे शरीर को नोचते थे. ऐसे जैसे कोई गंदी फिल्म की शूटिंग चल रही हो. दोनों बेटियां अब धीरे-धीरे बड़ी हो चुकी हैं. लेकिन पति के नशे में गंदी हरकतें करने की आदत खत्म नहीं हुईं. बल्कि बढ़ती ही गईं. घर में आते ही कई बार बेटियों के सामने ही गंदे तरीके से मेरे जिस्म दबोच लेते थे. कई बार गंदे तरीके से छूना. मना करने पर गाली देना. कई बार पिटाई करना. इससे बेटियों के सामने अजीब सी हालत हो जाती थी. अब पति मुझे पत्नी नहीं बल्कि एक शरीर की तरह समझते थे.
दीपा ने बताया कि जब नशे में आते थे तब कई बार अप्राकृतिक सेक्स (Unnatural Sex) करते थे. विरोध करती थी. तो मारते पीटते. फिर जबर्दस्ती करते. आखिर इसे कब तक बर्दाश्त करती. फिर दोनों बेटियों का ख्याल आ जाता. तो चुप्पी साध लेती. अब शादी के इतने साल हो चुके थे. इसलिए सोचती थी किसी तरह सब ठीक हो जाए.
21 मार्च……..
जीतेन्द्र रात में नशे में धुत होकर घर पहुंचा, घर आते ही मारपीट करने लगा, वो दीपा के जिस्म पर टूट पड़ा उसे नोचने लगा, दोनों बेटियां सब कुछ देख रही थी. दीपा ने बेटियों को दूर भेजा. लेकिन जीतेन्द्र दीपा को नोचता रहा, जीतेन्द्र ने उस दिन साडी सीमाएं पार कर दी……(दीपा के अनुसार)
दीपा बताती है कि उस रात की हरकतों को मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई. सोचा कि आज खुद ही आत्महत्या कर लेती हूं. लेकिन फिर सोचा कि अगर मर गई तो दोनों बेटियों का क्या होगा. पति तो दूसरी शादी भी कर लेंगे फिर बेटियां ही अभागी बन जाएंगी. इसलिए मन को मजबूत किया और तय किया कि अब पति को मरना होगा.
दीपा ने 21 मार्च की रात खाने से पहले सब्जी में नींद की कई गोलियां मिला दी. उसी सब्जी को पति जीतेन्द्र को खिलाया. खाने के बाद जीतेन्द्र जल्दी ही गहरी नींद में सो गया. उधर, बेटियां भी सो गईं. पर दीपा की आंखों में अब नींद नहीं थी. रात के करीब ढाई बजने वाले थे. दीपा ने सबकुछ देखा फिर रसोई में पहुंची. वहां से चाकू उठाया और कमरे में आई.
फिर पति जीतेन्द्र के मुंह में पहले कपड़ा ठूंसा ताकी शोर न मचा सके. फिर एक कपड़े से उसका गला दबा दिया. लेकिन जीतेन्द्र गला दबाने से उसकी मौत नहीं होनी थी. इसलिए दीपा ने चाकू उठाकर जीतेन्द्र के सीने में कई बार मारा. कई सालों का गुस्सा उसी चाकू के सहारे पति के सीने में उतार दिया. अब जीतेन्द्र मौत की नींद सो रहा था. फिर सुबह होने पर पहले तो इधर-उधर की बात करती रही. लेकिन आखिर में सबके सामने सच बता दिया.
ये कहानी राजस्थान के भरतपुर की है, भरतपुर नगर में जीतेन्द्र की फल की दूकान थी लेकिन जीतेन्द्र के करतूतों एक हसते खेलते परिवार को ख़त्म कर दिया. दीपा ने जिसके साथ 12 साल पहले सात फेरे लिए. जिस पति के नाम अपना सबकुछ दे दिया. उसे ही दर्दनाक तरीके से मौत के घाट उतारने में उसके हाथ नहीं कांपे. आखिर इसके पीछे की वजह सोचकर हर किसी का दिल दहल उठेगा.
यही सोचकर पुलिस भी पति का क़त्ल करने वाली महिला से कुछ खास पूछ नहीं पाई थी. लेकिन जब उस महिला से इमोशनल होकर पुलिस ने बात की तो वो टूट गई फिर जो आपबीती सुनाई उसे सुनकर पुलिस अधिकारी भी दंग रह गए.
ये सोचने लगे कि इस महिला की जगह कोई दूसरी होती तो वो क्या करती. लेकिन कानून तो कानून है. वो ऐसी घटना की इजाजत नहीं देता. लिहाजा, दीपा को गिरफ्तार कर अब न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया…….
- लुटेरा है अगर आज़ाद तो अपमान सबका है,
- लुटी है एक बेटी, तो लुटा सम्मान सबका है,
- बनो इंसान पहले, छोड़ कर तुम बात मजहब की,
- लड़ो मिलकर दरिदों से, ये हिन्दोस्तान सबका है!!
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ये कहानी मीडिया प्लेटफार्म पर प्रकाशित ख़बरों पर आधारित है. इस कहानी का मकसद जनमानस को जागरूक करना मात्र है………
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