राजनीति कभी खूनी नहीं होनी चाहती। राजनीति तो समाज की समस्याओं के समाधान के लिए होती है। राजनीति तो जनता की सेवा, जनता की नौकरी करने के लिए होती है। राजनीति तो जनता की आवाज को विधानसभा और संसद में पहुंचाने के लिए होती है लेकिन यह राजनीति कब जनता की चीख से बेखबर हो जाती है, यह खुद राजनीति भी नहीं जानती!

राजनीति में स्वार्थ, राजनीति में ताकत और ताकत से बनती राजनीति, अब इतनी ऊपर चली गई है कि उसकी एक गलती से ना जाने कितने ऊपर चले जाते हैं यह उस राजनीति को भी पता नहीं चलता।

गाजीपुर में राजनीति से खुनी हुई धरती का जिंदा उदाहरण पिछले ही दिनों में सबके सामने आ गया। एक ने राजनीति की ताकत के नशे में चूर होकर खून की होली खेली तो वहीं दूसरी तरफ राजनीति के स्वार्थ में अपनी जान गवा चुके ने कइयों की जान खतरे में डाल दी।

देखिए पूरी रिपोर्ट:

अब पढ़िए पूरी रिपोर्ट:

इस रिपोर्ट की शुरुआत गैबी गांव कि उस पीड़िता की कहानी से करते हैं जिसने केवल शादी के लिए इंकार किया था और उसे खूनी वार सहना पड़ा।

वाराणसी के चौबेपुर थानाक्षेत्र के राजवाड़ी हवाई पट्टी किनारे लहूलुहान हाल में मिली युवती के गले पर किसी और ने नहीं, बल्कि उसके ही मंगेतर ने हत्या की नियत से हमला किया था। इसके बाद उसे सड़क किनारे फेंककर फरार हो गया था। लेकिन ईश्वर को उसकी मौत मंजूर नहीं थी, जिसके चलते वहां देवदूत बनकर समय से दो युवक पहुंच गए और एंबुलेंस बुलाने के साथ ही युवती के भाई को भी फोन कर दिया था। ससमय उपचार के चलते उसकी जान बच गई। कुछ और देर हो जाती तो खून की कमी से उसकी मौत हो जाती। पुलिस ने आरोपी मंगेतर को घटना में प्रयुक्त कार संग गिरफ्तार करते हुए जेल भेज दिया है। युवती का मंगेतर अजय मौर्य, जन अधिकार पार्टी सैदपुर के प्रभारी रामापति मौर्य का पुत्र है।

दूसरी तरफ धर्म की राजनीति में बकरा बन चुके आवारा पशु अब औरों के लिए जान का खतरा बन गए और यह कहानी अब नई नहीं रही अब इस कहानी का पानी सर से ऊपर चला गया है।

ग़ाज़ीपुर के नन्दगंज थाना क्षेत्र के बनारस-गाजीपुर हाईवे पर अतरसुवा गांव के समीप रविवार की देर शाम सड़क पर मृत पड़े पशु के कारण भीषण हादसा हो गया। अचानक ब्रेक लगाने से एक के बाद एक चार, चार पहिया वाहन आपस में टकरा गए। वहीं किनारे खड़े दो बाइक व तीन साइकिल सवार भी चपेट में आ गए। हादसे में 10 लोग घायल हो गए, जिसमें तीन लोगों का पैर टूट गया है। प्रतापगढ़ के कचहरी रोड निवासी पंकज केशरी अपने परिवार के साथ गाजीपुर आ रहे थे। अतरसुवा के पास सड़क पर काली रंग की गाय मृत पड़ी थी। अंधेरे में अचानक सामने आने पर चालक वाहन को नियंत्रित नहीं कर सके और आगे का एक चक्का गाय के ऊपर चढ़ गया। इससे कार नहर में पलट गई। इस हादसे को बाइक सवार नंदगंज थाना क्षेत्र के रेवसा निवासी नगीना, शहर कोतवाली गोंड़ा निवासी रविकुमार, अरविद देख रहे थे। तभी अचानक दूसरी चार पहिया वाहन आ गई। उसके चालक ने भी गाय को देखकर अचानक ब्रेक लगा दी। तबतक देखते ही देखते दो और वाहन आकर पीछे से टकरा गए। इसमें एक कार अनियंत्रित हो कर किनारे खड़े बाइक सवारों को रौंदते हुए बगल में चली गई। इसमें तीनों बाइक सवारों का पैर टूट गया। हादसे के बाद मौके पर चीख-पुकार मच गई। देखते ही देखते मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। तबतक पुलिस भी पहुंच गई और सभी घायलों को जिला अस्पताल भिजवाया, जहां सभी की हालत खतरे से बाहर है।

बाजारों में और खेतों में उत्पात मचा रहे छुट्टा पशुओं के बारे में जब जिलाधिकारी गाजीपुर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि “हम इसका उचित इंतजाम कर रहे हैं साथ ही जनपद वासियों को भी हम कहना चाहते हैं कि वह अपने पशुओं को शाम को छोड़े ना। कई लोग ऐसे होते हैं जो गाय से दूध लेने के बाद शाम को छोड़ देते हैं यदि वह लोग पशुओं को है ऐसे ही छोड़ेंगे तो हमें कानूनी कार्रवाई करनी पड़ेगी।”

सबसे गंभीर सवाल यह है कि सड़कों पर गाय से ज्यादा सांड़ घूमते हैं और इन्हीं की वजह से दुर्घटना होती है। सबसे ज्यादा यही जानवर खेतों में फसल को बर्बाद करते हैं बाजार में घूमते हुए राहगीर ऊपर हमला कर देते हैं, व्यापार को नुकसान पहुंचाते हैं। डीएम साहब, तो क्या जनपद वासी सांड़ भी पालते हैं?

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