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गाजीपुर सदर विधानसभा क्षेत्र की राह नहीं आसान… क्या कहते हैं आंकड़े…

अभिनेंद्र की कलम से….

गाजीपुर। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक है और सभी राजनीतिक दल अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। एक तरफ जहां गाजीपुर में लगातार 3 दिन के अंदर दो बार उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का आगमन होता है और वह कई सारी सड़कों का उपहार जनपद को देते हैं। तो वहीं समाजवादी पार्टी मुशायरे के माध्यम से अपनी उपलब्धियां गिनाने में लगी हुई है। समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेता जगह जगह पर छोटी-छोटी जनसभाएं भी कर रहे हैं।

बात यदि सदर विधानसभा क्षेत्र की करें तो इस बार के चुनाव में कहा जा रहा है कि विकास के साथ-साथ जातिगत समीकरण भी देखा जाएगा। 1991 के बाद 2017 में भारतीय जनता पार्टी को मौका मिला सदर विधानसभा क्षेत्र में जीत हासिल करने का।

यदि हम पिछले 10 सालों का हिसाब किताब देखे तो 2014 में गाजीपुर लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी मनोज सिन्हा की जीत हुई थी उसके बाद मनोज सिन्हा ने गाजीपुर का रेलवे स्टेशन, गंगा के ऊपर रेल कम रोड ब्रिज, मेडिकल कॉलेज, रेलवे ट्रेनिंग सेंटर, गाजीपुर से वाराणसी फोरलेन जैसे कई महत्वपूर्ण कार्यों को करवाया था। पूर्व सांसद और केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा के साथ सबसे अच्छी बात यह थी कि केंद्र में भी उनके पार्टी की ही सरकार थी। 2014 से पहले गाजीपुर के सांसद राधे मोहन सिंह थे, खैर उनकी पार्टी की सरकार केंद्र में नहीं थी लेकिन अपने प्रयासों से उन्होंने गाजीपुर सदर विधानसभा क्षेत्र को रौजा ओवर ब्रिज का उपहार दिया था और अफ़ीम फैक्ट्री में स्थित केंद्रीय विद्यालय को लेकर महत्वपूर्ण कार्य किया था। अब बात यदि सदर विधानसभा क्षेत्र के विधायकों की करें तो 2012 में समाजवादी पार्टी के टिकट से विजय मिश्र ने जीत हासिल की थी, विजय मिश्र अखिलेश सरकार में राज्य मंत्री बने और उनके कार्यकाल में विद्युत समस्याओं को लेकर कई महत्वपूर्ण कार्य हुए, जैसे नया पावर हाउस बना, मोबाइल ट्रांसफार्मर की व्यवस्थाएं की गई, विद्युत अंडर ग्राउंड का कार्य शुरू हुआ। विजय मिश्र के कार्यकाल में गाजीपुर सदर विधानसभा क्षेत्र में 200 बेड का जिला अस्पताल बनाया गया। महिला अस्पताल की नई बिल्डिंग भी बनकर तैयार हुई। जानकारी के अनुसार उस दौरान मेडिकल कॉलेज और स्टेडियम का शिलान्यास भी किया गया था।

2017 के विधानसभा चुनाव में कहा जाता है कि मनोज सिन्हा ने डॉक्टर संगीता बलवंत को फ्रंट पर लाया था और सदर विधानसभा क्षेत्र का प्रत्याशी बनाया था। डॉक्टर संगीता बलवंत ने भी रिकॉर्ड मत से उस चुनाव को जीत लिया था। चुकी अब केंद्र और राज्य दोनों जगह भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी। इस दौरान गाजीपुर सदर विधानसभा क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज की नीव रखी गई और बनाकर तैयार भी कर दिया गया। केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा और सदर विधानसभा क्षेत्र की विधायक संगीता बलवंत संयुक्त रूप से कार्य करने लगे जिसकी वजह से गाजीपुर सदर विधानसभा क्षेत्र में विकास के कई कार्य हुए। मनोज सिन्हा की इच्छा थी कि गाजीपुर स्मार्ट सिटी बन जाए लेकिन 2019 कि लोकसभा चुनाव में मनोज सिन्हा को हार का मुंह देखना पड़ा। 2019 के बाद सदर विधानसभा क्षेत्र की विधायक डॉ संगीता बलवान ने सदर विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में काफी कार्य किया लेकिन शहर का विकास अभी भी अधूरा था। उसके बाद कोरोना संक्रमण का प्रकोप आ गया जिसके वजह से विकास कार्य रुक गए। लेकिन फिर भी विधायक डॉक्टर संगीता बलवंत ने उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से जरूरतमंदों की खूब आर्थिक मदद की। विधायक डॉक्टर संगीता बलवंत को राज्य मंत्री बना दिया गया और उन्हें सहकारिता विभाग सौंप दिया गया। कोरोना संक्रमण की वजह से लॉक डाउन हो गया और लॉक डाउन की वजह से जो कई सारे कार्य रुक गए थे उसको पुनः शुरू करवाने के लिए डॉक्टर संगीता बलवंत ने कई महत्वपूर्ण प्रयास किए। इसका नतीजा यह था कि जनपद गाजीपुर में लगातार तीन दिन के अंदर दो बार उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का आगमन होता है और गाजीपुर सदर विधानसभा क्षेत्र को सड़कों का उपहार मिल जाता है। डॉक्टर संगीता बालन का कहना है कि जंगीपुर से लेकर भूतियाताड़ और भूतियाताड़ से लेकर महाराजगंज तक की सड़क का निर्माण अब जल्द ही पूरा हो जाएगा। वही नंदगंज से लेकर सैदपुर के सड़क का भी निर्माण जल्द ही पूरा होगा।

लेकिन गाजीपुर शहर का विकास कैसे होगा यह अभी भी एक गंभीर सवाल बना हुआ है खैर उम्मीद है कि गाजीपुर शहर में अतिक्रमण की समस्याओं से निजात दिलाया जाएगा, दुकानों को व्यवस्थित किया जाएगा, शहर को साफ और सुंदर बनाया जाएगा। शहर के कई सारे कार्य नगरपालिका के वजह से भी लटके हुए हैं।

विधानसभा चुनाव में इस बार विकास के साथ-साथ जातिगत समीकरण भी देखा जाएगा। खैर अब गाजीपुर सदर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक और सपा के पूर्व मंत्री विजय मिश्र भी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं। देखने वाली बात यह है कि विजय मिश्र के कार्यकाल में जो गाजीपुर में विकास कार्य हुए हैं वह विजय मिश्र का लगन था या अखिलेश सरकार की विचारधारा। आइए एक नजर डालते हैं जातिगत आंकड़ों पर।

सूत्रों के अनुसार गाजीपुर सदर विधानसभा क्षेत्र में कुल करीब 360000 मतदाता है। जिनमें से करीब 55000 बिंद, करीब 50,000 यादव, करीब 36000 मुसलमान, करीब 30,000 क्षत्रिय, करीब 28000 ब्राम्हण, करीब 10,000 भूमिहार, करीब 10,000 कायस्थ, करीब 6000 राजभर, करीब 14000 चौहान, करीब 15,000 मुसहर, करीब 25000 कुम्हार और बनिया और करीब 50,000 अन्य जातियां है।

आइए एक नजर डालिए सदर विधानसभा क्षेत्र के चुनावी इतिहास पर:

पिछले 20 सालों के चुनावी इतिहास को देखकर ऐसा ही लगता है कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का जो कोर वोट बैंक है उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा है बाकी अन्य जातियां जो हैं 2017 में भारतीय जनता पार्टी के पाले में आ गई थी। इस बार भी मामला त्रिकोणीय हो सकता है लेकिन सब कुछ निर्भर करता है श्रवण मतदाताओं और मतदान के प्रतिशत पर। वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के गठबंधन की वजह से इस विधानसभा में राजभर और दलित मतदाता गेमचेंजर साबित हो सकते हैं। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि भारतीय जनता पार्टी में भी गाजीपुर के राजभर समाज से आने वाले कई नेता भाजपा में शामिल हुए हैं जिसमें जहूराबाद विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रह चुके कालीचरण राजभर भी हैं।

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