ब्यूरो डेस्क। कोरोना महामारी का असर गाज़ीपुर तक पहुँच चूका है। गाज़ीपुर गुरूवार को एक कोरोना पॉजिटिव मरीज पाया गया। आपको बता दें पिछले दिनों दिल्ली के निजामुद्दीन के ज़मात में शामिल करीब 11 लोग गाज़ीपुर आये थे और वो शहर के महुआबाग स्थित एक मस्जिद में छुपे हुए थे। सूचना मिलने पर पुलिस द्वारा उन्हें क्वारंटाइन के लिए भेज दिया गया। जाँच के बाद उनमे से एक मरीज़ पॉजिटिव पाया गया। ये खबर जिसने भी सुना उसके कान खड़े हो गए।
कोरोना वायरस के संबंध में अपर मुख्य सचिव, गृह व सूचना एवं प्रमुख सचिव स्वास्थ्य की प्रेसवार्ता सामने आया कि पिछले दिनों दिल्ली के निजामुद्दीन के ज़मात में शामिल करीब 11 लोग गाज़ीपुर आये थे और वो शहर के महुआबाग स्थित एक मस्जिद में छुपे हुए थे, उनको जिला अस्पताल लाया गया था ,उनमे से 6 को बुखार की शिकायत थी। जाँच की रिपोर्ट आने के बाद उनमे से व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। अभी कई रिपोर्ट आना बाकि हैं।
आखिर इतनी बड़ी लापरवाही का जिम्मेदार कौन है ? मेरे कुछ सवाल हैं :
- 30 जनवरी को भारत में जब पहला कोरोना पॉजिटिव केस आ चूका था तो क्या इंतज़ाम किये गए ?
- 31 जनवरी 2020 को WHO यानि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने कोरोना को विश्वस्तरीय हेल्थ इमर्जेन्सी बताया था तो फिर इतनी लापरवाही क्यों ?
- 11 मार्च 2020 को स्वास्थ्य मंत्रालय ने 15 फरवरी के बाद चीन, कोरिया जैसे देशों से आने वाली के जाँच की बात की कही , उन्होंने क्यों नहीं एयरपोर्ट पर सभी यात्रियों का जाँच किया ?
- 12 मार्च 2020 को निजामुद्दीन में तब्लीगी ज़मात का आयोजन क्यों हुआ ? इसकी जानकारी व्यवस्थापक ने क्यों छुपाई ?
13 मार्च 2020 को उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने भीड़ से बचने और समूह में एकत्र न होने के लिए बोला था, फिर गाज़ीपुर 18 मार्च को विधायक संगीता बलवंत ने सैंकड़ों लोगों की भीड़ इकठ्ठा कर जश्न क्यों मनाया ? और गाज़ीपुर में 19 मार्च को मंत्री आनंद स्वरुप शुक्ला द्वारा सैंकड़ों लोगों की भीड़ इकठ्ठा कर अपनी सरकार के 3 साल के कार्यकाल पूरा होने का जश्न क्यों मनाया ?
- निजामुद्दीन में तब्लीगी ज़मात में शामिल होकर गाज़ीपुर आए 11 लोगों को क्यों छुपाया गया ? जबकि सरकार द्वारा बार बार ऐसे लोगों को जाँच करवाने के लिए बोला जा रहा था।?
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