ब्यूरो डेस्क। कोरोना महामारी से रोकथाम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन करने का सख्त निर्णय लिया है। इस निर्णय से दिल्ली एनसीआर के क्षेत्र में अफरा तफरी मच गई। प्रवासी मजदुर व दिल्ली एनसीआर में नौकरी करने वाले घबरा गए और अपने घरों की निकल गए। हज़ारों लोग सड़कों पर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलते हुए नज़र आ रहे थे।
तो इसी दौरान कई स्थानीय अख़बारों में खबर आयी कि लॉकडाउन के बीच दिल्ली से पैदल घर जा रहे एक युवक की रास्ते में ही मौत हो गई है. रणवीर सखवार मध्य प्रदेश के मुरैना के रहने वाले थे. वह दिल्ली के एक होटल में डिलिवरी पहुंचाने का काम करते थे. दलित युवक रणवीर की मौत पैदल चलने के दौरान हार्टअटैक से हो गई.
ये खबर अपने आप में दर्दनाक है। सरकार ने कोरोना वायरस से रोकथाम के लिए लॉकडाउन का सही निर्णय लिया। लेकिन क्या इस निर्णय लेने से पहले क्या सरकार को देश की परिस्थिति नहीं पता थी या ये नहीं पता था कि हमारे देश असहाय लोगों की संख्या कितनी हैं? हमारे देश में कोरोना का पहला केस 30 जनवरी को आया था और 10 मार्च तक देश में लगभग 44 केस आ चुके थे। फिर बिना इंतज़ाम के ऐसा निर्णय क्यों लिया गया। खैर वर्तमान परिस्थिति देखते हुए, अब कोरोना महामारी से बचना ही पहली प्राथमिकता है और सभी देशवासी अपने घरों में सोशल डिस्टेंस बनाकर रखें, बार बार अपने हाथ को साबुन से धोते रहे।
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