संवाददाता: विश्वजीत कुमार
वाराणसी। डीएवी पीजी कालेज के उर्दू विभाग के तत्वावधान में शनिवार को ‘उर्दू जुबान की अहमियत एवं रोजगार के अवसर‘ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के डाॅ. मुशर्रफ अली ने कहा कि उर्दू जुबान का आगाज 12 वीं शताब्दी में हुआ, जो आज काफी समृद्ध है, लेकिन उसके लिए उसे काफी कठिन दौर से गुजरना पड़ा है। उर्दू भाषा के कुछ शायर दुनिया भर में मशहूर है, गालिब आज की तारीख में सबसे ज्यादा कोट किये जाने वाले शायर है, वहीं नजीर अकबराबादी की नज्में हिन्दुस्तानी तहजीब की मिसाल पेश करती है। उन्होंने यह भी कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले बदलावों की झलक भी उर्दू शायरी में दिखती है। रोजगार के अवसर पर उन्होंने कहा कि उर्दू जानने वालों के लिए अध्यापन के अलावा मीडिया में भी पर्याप्त मौके उपलब्ध है। अध्यक्षता महाविद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक डाॅ. शिव बहादुर सिंह ने किया। वक्ता का स्वागत विभागाध्यक्ष डाॅ. हबीबुल्लाह, संचालन डाॅ. तमन्ना शाहीन ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डाॅ. विमल शंकर सिंह, डाॅ. लल्लन प्रसाद जायसवाल, डाॅ. समीर पाठक, डाॅ. इन्द्रजीत मिश्रा, डाॅ. पूनम सिंह, नजमुल हसन, डाॅ. सुमन सिंह आदि अध्यापक एवं छात्र – छात्राएॅ उपस्थित रहे।
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